Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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बाणउतिं सूरियगयाई जाई सूरिए अप्पणा चिण्णाई पडियरति दाहिण पुरथिमिल्लांसि च भागमंडलंसि एक्काणउतिसूरियगताई जाई सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाई पडिचरति, तत्थ णं एवं एखतिए सूरिए भारहस्स सूरियस्स जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छित्ता दाहिणपच्चत्थिमिल्लेसि चउभागमंडलंसि बाणउतिं सूरियगताई जाई सूरिए परस्स चिण्णाई पडिचरति उत्तरपुरथिमिल्लंसि चउब्भागमंडलंसि एक्काणउतिं सूरिंयगताई जाई सूरिए परस्स चेव चिण्णाई पडिचरति, ता निक्खममाणे खलु एने दुवे सूरिया णो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, तं०-सतमेगं चोतालं० गाहाओ । १४ ॥ १-३ ॥
ता केवइयं एए दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति आहि० ?, तत्थ खलु इमातो छ पडिवत्तीओ पं०, तत्थ एगे एव०-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसतं अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति आहि० एगे एव०, एगे पुण० -ता एवं जोयणसहस्सं एगं चउतीसं जोयणसयं अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति आहि० एगे एव०, एगे पुण०-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसयं अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति आहि० एगे एव०, एवं एगं दीवं एगं समुद्द अण्णमण्णस्स अंतरं कट्ट०, एगे० दो दीवे दो समुद्दे०, एगे० तिण्णि दीवे तिण्णि समुद्दे०, वयं पुण एवं वयामो-ता पंच २ जोयणाई पणतीसं च एगद्विभागे जोयणस्स एगमेगे मण्डले अण्णमण्णस्स अंतरं अभिवड्ढेमाणा वा निवड्ढेमाणा ॥ श्री चन्द्रप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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