Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 82
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुच्छा?, ता पुणव्वसुणा चेव, पुणव्वसुस्स णं जहा चंदस्स । ६८ । ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाणि अट्ठ एकूणवीसाणि मुहुत्तसताइं चउवीसं च बावद्विभागे मुहुत्तस्स बावद्विभागं च सत्तद्विधा छेत्ता बावठि चुण्णियाभागे उवायिणावेत्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं तारिसएणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति अण्णंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाई सोलसअट्ठतीस मुहुत्तसताइं अउणापण्णं च बावद्विभागे मुहुत्तस्स बावद्विभागं च सत्तद्विधा छत्ता पण्णट्ठी चुण्णियाभागे उवायिणावेत्ता पुणरवि से णं चंदे तेणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति अण्णंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाई चउप्पण्णमुहुत्तसहस्साइं णव य मुहुत्तसत्ताई उवादिणावित्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं नारिसएणं नक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि २ देसंसि से णं इमं एवं मुहुत्तस्यसहस्सं अट्ठाणउतिं च मुहुत्तसताई उवायिणावित्ता पुणरवि से चंदे तेण चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएइ तंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति जंसिं देसंसि से णं इमाई तिण्णि छावट्टाई राईदियसताई उवादिणावेत्ता पुणरवि से सूरिए अण्णणं तारिसएणं चेव नक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज नक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति तंसि देसंसि से णं इमाई सत्तदुतीसं राईदियसताई उवाइणावेत्ता पुणरवि से सूरे तेणं चेव नक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाई अट्ठारस वीसाई राईदियसताई उवादिणावेत्ता पुणरवि से ॥ श्री चन्द्रप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥ ७१ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111