Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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सव्वब्भतरं उवसंकमति तहेव) एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस|| णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, गाहाओ । १३॥ १-२॥ __ता के ते चित्रं पडिचरंति आहि०?, तत्थ खलु इमे दुवे सूरिया पं० २०-भारहे चेव सूरिए एरवए चेव सूरिए, ता एते णं दुवे सूरिया पत्तेयं २ तीसाए २ मुहुत्तेहिं एगमेगं अद्धमंडलं चरंति, सट्टीए २ मुहुत्तेहिं एगमेगं मंडलं संघातंति, ता णिक्खममाणा खलु एते दुवे सूरिया णो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडि चरंति, पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, तं सतमेगं चोतालं, तत्थ कं हेउं वदेज्जा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं, तत्थ णं अयं भारहए चेव सूरिए जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायतउदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणंछेत्ता दाहिणपुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउतियसूरियाताई जाई सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाई पडिचरति उत्तरपच्चथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एकाणउतिं सूरियगताई जाइं सूरिए अप्पणा
चेव चिण्णाई पडिचरति, तत्थ अयं भारहे सूरिए एरवतस्स सूरियस्स जंबुदीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए |मंडलं चवीसएणं सतेणं छेत्ता उत्तरपुरच्छिमिलंसि चउभागमंडलंसि बाणउतिं सूरियगताई जाइं सूरिए परस्स चिण्णाई पडिचरति दाहिणपच्चच्छिमिलंसि चउब्भागमंडलंसि एकणउतिं सूरियगताई जाई सूरिए प्रस्स चेव चिण्णाई,पडिचरति, तत्थ अयं एरवए सूरिए जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलंचवीसएणं सतेणं छेत्ता उत्तरपुरथिमिल्लसि चउब्भागमंडलंसि | श्री चन्द्रप्रनप्त्युपाङ्गम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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