Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 42
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |ता कहं ते चंदिमसूरियसंठिती आहि०?, तत्थ खलु इमातो सोलस पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता समचउरंससंठिता| चंदिमसूरियसंठिती एगे एक०,एगे पुणता विसमचउरससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं०, एवं एएणं अभिलावेणं समचउकोणसंठिता विसमचउक्कोणसंठिया समचकवालसंठिता विसमचक्कवालसंठिता चक्कद्धचक्कवालसंठिता पं० एगे एव०, एगे पुण०-ता छत्तागारसंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं० गेहसंठिता गेहावणसंठिता पासादसंठिता गोपुरसंठिया पेच्छाघरसंठित। वलभीसंहिता हम्मियतलसंठिता वालग्गपोतियासंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं०, तत्थ जे ते एवमा० ता समचरंससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं० एतेणं गएणं तव्वं णो चेव णं इतरेहि, ता कहं ते तावक्खेत्तसंठिती आहि०? तत्थ खलु इमाओ सोलस पडिवत्तीओ पं०, तत्थ्णं एगे एव०-ता गेहसंठिता तावखित्तसंठिती पं०, एवं जाव वालग्गपोतियासंठिता तावक्खेत्तसंठिती०, एगे एव०-ता जस्संठिते जंबुद्दीवे तस्संठिता तावक्खेत्तसं० पं०, एगे पुण० ता जस्संठिते भारहे वासे तस्सं०, एवं उजाणसंठिया निजाणसंठिता एगतो णिसघसंठिता दुहतो णिसहसंठिता सेयणगसंठिता एगे एव०, एगे पुण० ता सेयणगपट्ठसंठिता तावखेत्त० एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता उद्धीमुहकलंबुआपुष्फसंठिता तावक्खेत्तसंठिती पं० अंतो संकुडा वाहिं वित्थडा अंतो वट्टा बाहिं पिधुला अंतो अंकमुहसंठिता बाहिं सत्थिमुहसंठिता, उभतो पासेणं तीसे दुवे वाहाओ अवहिताओ भवंति पणतालीसं २ जोयणसहस्साई आयामेणं, दुवे यणं तीसे बाहाओ अणवहिताओ भवंति, तं० सव्वब्भंतरिया चेव बाहा सव्वबाहिरिया चेव बाहा, तत्थ को हेतूति वदेजा?.. In श्री चन्द्रप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111