Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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छायं णिवत्तेति, तत्थ जे ते एव०.ता अस्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए दुपोरिसिच्छायं णिवत्तेति ते एव०.ता सूरियस्स णं सव्वहेछिमातो सूरियपडिधीतो बहिया अभिणिसद्विताहिं लेसाहिं ताडिजमाणीहिं इमीसे रयणप्यभाए पुढवीए बहुसमरमणिजातो भूमिभागातो जावतियं सूरिए उड्ढेउच्चत्तेणं एवतियाहिं दोहिं अद्धाहिं दोहिं छायाणुभाणप्पमाणेहिं उमाए एत्थणं से सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति, एवं एकेकाए पडिवत्तीए भाणितव्वं जाव छण्णउतिमा पडिवत्ती एगे०, वयं पुण एवं वदामो-सातिरेगअणट्ठिपोरिसीणं सरिए पोरिसीछायं णिवत्तेति, अवद्धपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, ता तिभागे गते वा सेसे वा, ता पोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, ता चउभागे गते वा सेसे वा, ता दिवद्धपोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, ता पंचमभागे गते वा सेसे वा, एवं अद्धपोरिसिं छोड़े पुच्छा दिवसस्स भागं छोढुं वाकरणं जाव ता अद्धअणासहिपोरिसीछाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, ता एगुणवीससतभागे गते वा सेसे वा, ता अणसहिपोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा ||सेसे वा?, वीससयभागे गते वा सेसे वा, ता सातिरेगअउणसहिपोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, णत्थि किंचि गते वा सेसे वा, तत्थ खलु इमा पणवीसनिविट्ठा छाया पं० २०- खंभच्छाया रज्जु० पागार० पासाय० उत्तर० उच्चत्त० अणुलोम० पडिलोम० आरुभिता उवहिता समा पडिहता खीलच्छाया पक्खच्छाया पुरतोउदग्गा पिटुओउदग्गा पुरिमकंठभागोवगता पच्छिमकंठभाओवगता छायाणुवादिणी किट्ठाणुवादिणीछाया छायछाया छायाविकप्पो वेहासच्छाया सगड० (कडच्छाया) ॥ श्री चन्द्रप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥
पू.सागरजी म. संशोधित
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