Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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रोहिणी पुणव्वसू उत्तरा फग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा ॥३५॥१०.३ ॥
ता कहते जोगस्स आदी आहि०?, ता अभियीसवणा खलु दुवे णक्खत्ता पच्छाभागा समखित्ता सातिरेगऊतालीसतिमुहुत्ता तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, ततो पच्छ। अवरं सातिरेयं दिवसं, एवं खलु अभिईसवणा दुवे णक्खत्ता एगराई एगं च सातिरेगं दिवसं चंदेण सद्धिं जोगं जोएंति त्ता जोयं अणुपरियटॅति त्ता सायं चंदं धणिढाणं समपंति, ता धणिवा खलु। णक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसतिमुहुत्ते तप्पढम्याए सायं चंदेण सद्धिं जोगं जोएति त्ता जोयं० ता ततो पच्छा राई अवरं च दिवसं, एवं खलु पणिहाणक्खत्ते एगं च राई एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति ना जोयं अणुपरियट्टेति त्ता सायं चंद सतभिसयाणं समप्पेति, ता सयभिसया खलु णक्खत्ते णतंभागे अवड्ढखेत्ते पण्णरसमुहुत्ते तप्पढमताए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति णो लभति अवर दिवसं, एवं खलु सयभिसया णक्खत्ते एगं राई चंदेण सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियति त्ता ता चंदं पुव्वाणं पोट्ठवताणं समप्येति, ता पुव्वा पोट्ठवता खलु नक्खत्ते पुव्वंभागे समखेत्ते तीसतिमुत्ते तप्पढमताए पातो चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति ततो पच्छ। अवराई, एवं खलु पुव्वा पोट्टवता णक्खत्ते पुव्वंभागे समखित्ते तीसमुहत्ते एगं च दिवस एगं च राई चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियति त्ता पातो चंदं उत्तरापोट्ठवताणं समप्पेति, ता उत्तरापोडवता खलु नक्खत्ते उभयंभागे दिवड्ढखेत्ते पणतालीस मुहुत्ते तप्पढभ्याए पातो चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति अवरं च रातिं ततो पच्छ। अवर दिवस, ॥ श्री चन्द्रप्राप्युपाङ्गम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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