Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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अममे य। अणवं च भोम रिसहे सव्वट्ठे रक्खसे चेव ३० ॥२२॥ ४७ ॥ १०-१३ ॥ ता कहं ते दिवसा आहि० ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पन्नरस २ दिवसा पं० तं०-पडिवादिवसे बितियादिवसे जाव पण्णरसीदिवसे, ता एतेसिं णं पण्णसहं दिवसाणं पत्ररस नामधेज्जा पं० तं०- पुवंगे सिद्धमणोरमे य तत्तो मणोहरो चेव। जसभद्दे य जसोधर सव्वकामसमिद्धेति य ॥२३॥ इंद मुद्धाभिसित्ते य सीमणस धणंजए य बोद्धव्वे । अत्थसिद्धे अभिजाते अच्चसणे य सतंजए ॥ २४ ॥ अग्गिवेसे उवसमे दिवसाणं नामधेज्जाई। ता कहं ते रातीओ आहि०?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस राईओ पं० तं०- पडिवा राई जाव पण्णरसी राई, ता एतासिं णं पण्णरसण्हं राईणं पण्णरस नामधेज्जा पं० तं० - उत्तमा यं सुणक्खत्ता, एलावच्चा जसोधरा । सोमणसा चेव तथा सिरिसंभूता य बोद्धव्वा ॥ २५ ॥ विजया य विजयंती जयंति अपराजिया य मच्छा य । समाहारा चेव तथा तेया य तहा य अतितेया ॥ २६ ॥ देवाणंदा निश्ती रयणीणं णामधे जाई (४८११०-१४॥ ता कहं ते तिही आहि०?, तत्थ खलु इमा दुविहा तिही पं० तं०दिवसतिही राईतिही य, ता कहं ते दिवसतिही आहि० ? ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस २ दिवसतिही पं० तं०-गंदे भद्दे | जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स पंचमी पुण्रवि णंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स दसमी पुणरवि णंदे भद्दे जये तुच्छे पुण्णे पक्खस्स पण्णरसी, एवं ते तिगुणा तिहीओ सव्वेसिं दिवसाणं, कहं ते राईतिथी आहि०?, एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस रातितिधी पं० तं०- उग्गवती भोगवती जसवती सव्वट्टसिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवती भोगवती जसवती सव्वट्ठसिद्धा सुहणामा पुणरवि ॥ श्री चन्द्रप्रज्ञभ्युपाङ्गम्
पू. सागरजी म. संशोधित
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