Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||२ जोयणाई पुरिसच्छायं अभिवुड्ढेमाणे २ सव्वब्तरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जता णं सूरिए सव्वब्तरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरति तता णं पञ्च २ जोयणसहस्साई दोणि य एक्कावण्णे जोयणसए अगुणतीसं च सद्विभागे जोयणस्स/ एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगयस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं तेवढेहिं जोयणसतेहि य एकवीसाए य|| सहिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहत्ता राई भवति, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स प्रज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस गं|| आदिच्चस्स संवच्छरस्स प्रज्जवसाणे १२३॥ २-३ बितियं पाहुडं। ता केवतियं खेत्तं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेंति पगासंति आहि०?, तत्थ खलु इमाओ बारस पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमा०-ता एगं दीवं एगं समुई चंदिमसूरिया ओभासेंति०, एगे पुण एव०-ता तिण्णि दीवे तिण्णि समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंतिक एगे एव०, एगे पुण-ता अद्धचउत्थे (प्र० आहुठे ) दीवसमुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे एव०, एगे पुणता सत्त दीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासिंति० एगे एव०, एगे पुण-ता दस दीवे दस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे एव०, एगे पुण०-ता बारस दीवे बारस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे०, एगे पुण० बायालीसं दीवे बायालीसं समुद्दे |चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे०, एगे पुण० बावत्तरि दीवे बावत्तरि समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे०, एगे पुण-ता बायालीस In श्री चन्द्रप्रनप्त्युपाङ्गम् ॥ । २९ । पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111