Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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||एगे पुण०-ता पुरच्छिमातो लोअंतातो पातो सूरिए आगासंसि उठेति, से णं इमं लोयं तिरियं करेति त्ता पच्चस्थिमंसि लोयंतसि|| सायं सूरिए आगासंसि विद्धंसति एगे एव०, एगे पुण०-ता पुरस्थिमाओ लोयंतातो पादो सूरिए अासंसि उत्तिद्वति, से णं इम लोयं तिरियं करेति त्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतसि सायं सूरिए आगासं अणुपविसति ना अहे पडियागच्छति त्ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमातो लोयंतातो पातो सूरिए आगासंसि उत्तिति एगे एव०, एगे पुण०-ता पुरस्थिमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए पुढवीओ उत्तिद्वति, से णं इमं लोयं तिरियं करेति त्ता पच्चथिमिलंसि लोयंतसि सायं सूरिए पुढवीकार्यसि विद्धंसइ एगे एव०, एगे पुण०-पुरस्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढवीओ उत्तिइ, से णं इमं तिरियं लोयं करेइ त्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतसि सायं सूरिए पुढवीकायं अणुपविसइ त्ता अहे पडियागच्छइ त्ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमाओ लोगंताओ पाओ सूरिए पुढवीओ उत्तिइ एगे एव०, एगे पुण-ता/ पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिहुइ, से णं इमं तिरिय लोयं तिरियं करेइ त्ता पच्चत्थिमंसि लोयंसि सायं सूरिए आउकायंसि विद्धंसति एगे एव०, एगे पुण०-ता पुरथिमातो लोगंतातो पाओ सूरिए आउओ उत्तित्ति, से णं इमं तिरिय लोयं तिरियं करेति त्ता पच्चस्थिमंसि लोयंतसि सायं सूरिए आउकायंसि पविसइ त्ता अहे पडियागच्छति त्ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमातो लोयंतातो पादो सरिए आउओ० एगे एव, एगे पुण एव०-ता पुरस्थिभातो लोयंताओ बहूई जोयणाई बहूई जोयणसताई बहूई जोयणसहस्साई उड्ढे दूरं उम्पतित्ता एत्थणं पातो सूरिए आगासंसि उत्तिति, सेणं इमंदाहिणड्ढं लोयं तिरियं करेति त्ता उत्तरद्धलोयं ॥ श्री चन्द्रप्रज्ञप्युपाङ्गम् ॥
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पू.सागरजी म. संशोधित
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