Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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विपाकश्रुते उपपन्ना उत्पन्नः। 'से णं' स खलु 'तओ' ततः तस्मात् स्थानाद् 'अणंतरं' अनन्तरम् अन्तररहितम् 'उध्वट्टित्ता' उद्धृत्य 'इहेव' इहैव-अत्रैव 'महुराए नयरीए' मथुरायां नगया 'सिरिदामस्स रनो' श्रीदाम्नो राज्ञः 'बंधुसिरीए देवीए' बन्धुश्रिया देव्याः 'कुच्छिसि' कुक्षौ 'पुत्तत्ताए' पुत्रत्वेन 'उववण्णे' उपपन्ना उत्पन्नः। 'तए थे' ततः खलु गर्भस्थित्यनन्तरं 'तीसे बंधुसिरीए देवीए' तस्या बन्धुश्रियो देव्याः 'तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं' त्रिषु मासेषु बहुप्रतिपूर्णेषु सत्सु 'इमे एयारूवे दोहले पाउब्भूए' अयमेतद्रूपो दोहदः प्रादुभूतः-'धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव जाओणं' धन्याः खलु ता अम्बाः सपुण्याः, इत्यादि विशेषणविशिष्टास्ता अम्बाः, तासामेव मुलब्धं जन्मजीवितपृथिवी के २२ सागर की उत्कृष्ट स्थिति वाले नरक में उत्पन्न हुआ। ' से गं तो अणंतरं उबाहित्ता इहेव महुराए णयरीए सिरिदामस्स रण्णो बंधुसिरीए देवीए कुच्छिंसि पुत्तत्ताए उववण्णे' वहां की २२ सागर को स्थिति पूर्ण कर जब यह वहां से निकला तो इस मथुरा नगरी में श्रीदाम राजा की रानी बंधुश्री की कुक्षि में पुत्ररूप से गर्भ में आया । 'तए गं' गर्भ स्थिति होने के बाद 'तीसे बंधुसिरीए देवीए' उस बंधुश्री देवी के गर्भ के 'तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं' तीन मास पूरे होने पर इमे एयारूवे दोहले पाउब्भूए' इस प्रकार का दोहद उत्पन्न हुआ 'धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव' वे मातएँ धन्य हैं यावत् पुण्यवती हैं कृतार्थ हैं कृतपुण्य हैं-उन्हों ने पूर्वभव में पुण्य किया है, कृतलक्षण हैं-वे शुभ लक्षणों से युक्त हैं और कृतविभव अर्थात् उन्हों ने ही अपने विभव-संपत्ति को दानादि शुभकार्य में सफल किया है । उन्हीं का અવસરે મરણ પામીને છઠ્ઠી પૃથિવીનાં રર બાવીસ સાગરની ઉત્કૃષ્ટ સ્થિતિવાળા નરકમાં Grपन्न थयो. 'से णं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव महुराए णयरीए सिरिदामस्स रण्णो बंधुसिरीए देवीए कुच्छिंसि पुत्तत्ताए उववण्णे त्यांनी सावीस २२ સાગરની સ્થિતિ પૂરી કરીને જ્યારે ત્યાંથી નીકળ્યા તે પછી આ મથુરા નગરીમાં श्रीहीम रानी मधुश्री शीना २मां पुत्र३५थी गलमा माल्या. 'तए णं' मन २६॥ पछी 'तीसे बंधुसिरीए देवीए' ते मधुश्री वीना सन तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं' ! भास ५२॥ यया पछी इमे एयारुवे दोहले पाउन्भूए" मा। पारने हो (मनोरथ) 4-1 थयो 'धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव' તે માતાએ ધન્ય છે. યાવત પુણ્યવતી છે, કૃતાર્થ છે, કૃત પુણ્ય (તેણે પુણ્ય કરેલા છે) જેઓએ પૂર્વભવમાં પુણ્ય કર્યા છે. કૃતલક્ષણ-તે શુભ લક્ષણેથી યુકત છે અને
શ્રી વિપાક સૂત્ર