Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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विपाकश्रुते सिकस्य 'उवणेति' उपनयन्ति-समर्पयन्ति । 'अण्णे य' अन्ये च 'से' तस्य महानसिकस्य 'वहवे' बहवः तित्तिरा य' तितिराश्च 'जाय मयूरा य' यावत् मयूरा 'पंजरंसि' पञ्जरे 'संणिरुद्धा' संनिरुद्धाः प्रतिरुद्धाः 'चिटुंति' तिष्ठन्ति । 'अण्णे य बहवे पुरिसा' अन्ये च बहवः पुरुषाः 'दिण्णभइ-भत्तवेयणा' दत्तभृतिभक्तवेतनाः 'बहवे' बहून् तितिरे य' तित्तिरांश्च 'जाव मयूरे य' यावत् मयूराश्च 'जीवियए चेव' जीवितकानेव 'णिप्पक्वंति' निष्पक्षयन्ति-पक्षरहितान् कुर्वन्ति-जीवितानामेव पक्षिणां पक्षानुत्पाटयन्तीत्यर्थः, 'णिप्पक्खित्ता' निष्पक्षीकृत्य पक्षिणः पक्षरहितान् कृत्वा 'सिरीयस्स महाणसियस्स' श्रीकस्य महानसिकस्य 'उवणेति' उपनयन्ति-आनीय समयन्ति । 'तए णं' ततः खलु 'से' सः "सिरीए महाणसिए' श्रीको महानसिकः 'वहणं' बहनां 'जलयरथलयरखहयराणं' जलचरस्थलचरखेचराणां मंसाई' मांसानि कप्पणीकप्पियाई' कल्पनी'सिरीयस्स' उस श्रीक नाम के 'महाणसियस्स' महानसिक-रसोइये को 'उवणेति' दे दिया करते थे । 'अण्णे य से बहवे तित्तिरा य जाव मयूरा य पंजरंसि सण्णिरुद्धा चिटुंति' और भी अनेक इसके यहां तीतर से लेकर मयूर तक जानवर-पक्षी थे जो पिंजरों में बंद रहा करते थे । 'अण्णे य बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा' इस के यहां कितनेक ऐसे भी नौकर चाकर थे जो वेतन और भोजन पर नौकरी करते थे, जिनका काम यह था कि वे 'बहवे तित्तिरे य जाव मयूरे य जीवियए चेव निप्पक्वेति' तीतर से लेकर मयर तक के समस्त जीते हुए पक्षियों के पंखों को उखाडते रहते थे, और 'निपक्खित्ता सिरीयस्स महाणसियस्स उवर्णति' उखाड कर फिर वे उन्हें ले जाकर उस श्रीक रसोइये को दे दिया करते थे । 'तए णं से सिरीए महाणसिए बहूणं जलयर-थलयर-खहयराणं 'सिरीयस्स' ते श्री नामना 'महाणसियस्स' मानसि४-२सोमाने ' उवणेति' मापी ता ता. 'अण्णे य से बहवे त्तित्तिरा य जाव मयुरा य पंजरंसि सण्णिरुद्धा चिट्ठति ' मने भीan vण भने तेने त्यां तेतरथी साधन भार सुधानi ५क्षा इतl o ५iराभां पूरेखा रहता तi 'अण्णे य बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा' तेम०४ तेने त्यां भी सपा ने।३२ या४२ ५५ तारे ५२ मन लोशन मेजवान नारी २ता इता, तेनु म स तु ते 'बहवे तित्तिरे य जाव मयुरे य जीवियए चेव निप्पक्खेति' ततरथी दाने भार सुधीनां तमाम Odi पक्षीमानी ५im Sist हता, भने 'निप्पक्खित्ता सिरीयस्स महाणसियस्स उवणेति' माडीने पछी ते न त सायाने सापता ता. 'तए णं से सिरीए महाणसिए बहूणं जलयर-थलयरखहयराणं मंसाई कप्पणीकप्पियाई
શ્રી વિપાક સૂત્ર