Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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विपाकश्रुते जेणेव कयवणमालप्पियस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिमिहत्ता संजमेणं तवसा जाव विहरइ । परिसा निग्गया, रायावि निग्गओ। तए णं से सुबाहुकुमारे तं महया० जहा पढमं तहा निग्गओ, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया, रायावि, पडिगओ। तए णं से सुबाहुकुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हटु० जहा मेहो तहा अम्मापियरो आपुच्छइ । निक्खमणाभिसेओ, तहेव अणगारे जाए इरियासमिए जाव बंभयारी । तए णं से सुबाहू अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एकारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहुहिं चउत्थछट्टम० तवोविहाणेहि अप्पाणं भाविता बहुइं वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं भूक्तसित्ता सर्द्धि भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववण्णे ॥ सू० १२ ॥
टीका 'तए णं' इत्यादि । 'तए णं' ततः खलु सुबाहुकुमारस्य तादृशविचरणानन्तरं 'समणे भगवं महावीरे' श्रमणो भगवान महावीरः 'सुबाहुस्स कुमारस्स' सुवाहोः कुमारस्य 'इम' इम-पूर्वोक्तम् ‘एयारूवं ' एतद्रूपं संयम
'तए णं समणे' इत्यादि ।
'तए णं' इसके पश्चात् 'समणे भगवं महावीरे' श्रमण भगवान् महावीर 'सुबाहुकुमारस्स' सुबाहुकुमार के 'इम' पूर्वोक्त 'एयाख्वं' संयम
'तए णं समणे या
'तए णं' ते पछी 'समणे भगवं महावीरे' श्रम त मडावी२'सुबाहुकुमारस्स' सुमामा२ना 'इमं' पूर्व४ित 'एयाख्वं' सयम घड ४२वानी
શ્રી વિપાક સૂત્ર
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