Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 701
________________ ६८३ विपाकचन्द्रिका टीका, श्रु० १, अ० ९, देवदत्तावर्णनम् विरहः शल्यवदन्तरं दहति ' इत्यादि-विलापं कुर्वन् 'सिरीए देवीए ' श्रियो देव्याः 'महया इढि०' महता ऋद्धिसत्कार-समुदयेन 'णीहरणं करेई निर्हरणं करोति-अग्निसंस्कारं करोति । 'करित्ता' कृत्वा 'आसुरुत्ते' आशुरुष्टः-अतिकुषितः 'देवदत्तं देवि' देवदत्तां देवीं 'पुरिसेहि' पुरुषैः-राजपुरुषैः 'गिण्हावेई' ग्राहयति, 'गिहावित्ता' ग्राहयित्वा एएणं 'विहाणेणं' एतेन प्रत्यक्षदृष्टेन विधानेन प्रकारेण 'वज्झं' वध्याम् 'इयं हन्तव्या' इति 'आणवेइ' आज्ञापयति । __एवं खलु 'गोयमा' हे गौतम ! 'देवदत्तादेवी' देवदत्ता देवी 'पुरापोराणाणं' पुरापुराणानां पूर्वभवकृतानां 'जाव' यावत्-दुश्चीर्णानां दुष्पतिक्रान्तानाम् अशुभानां पापानां कर्मणां पापकं फलवृत्तिविशेषं प्रत्यनुभवन्ती 'विहरई' विहरति ।।सू०२०॥ ॥ मूलम् ॥ देवदत्ता णं भंतें ! देवी इओ कालमासे कालं किच्चा छोड कर कहां चली गई, तुम्हारा विरह हमें इस समय शल्य के समान अरुन्तुद हो रहा है, तुम्हारे वियोग से मेरा हृदय फटा जा रहा है, इस रूप से विलाप करते हुए 'सिरीए देवीए महया इढि० णीहरणं करेइ' श्रीदेवी की बडे उत्सव के साथ श्मशान यात्रा-अर्थी निकाली 'करित्ता' अग्नि संस्कार हो जाने के पश्चात् उसने फिर 'आसुरुत्ते' अत्यंत कुपित होकर 'देवदत्त देवि देवदत्ता देवी को 'पुरिसेहि गिण्हावेई' राजपुरुषों द्वारा पकडवा लिया । 'गिहावित्ता एएणं विहाणेणं वज्झं आणवेइ' और पकडवा कर इस प्रत्यक्ष दृष्ट विधि के अनुसार वध्य घोषित किया है। एवं खलु गोयमा !' इस प्रकार हे गौतम ! 'देवदत्ता देवी' देवदत्ता देवी 'पुरापुराणाणं जाव विहरइ' पूर्वभव में किये हुए दुश्चीर्ण, दुष्प. तिक्रान्त एवं अशुभतम पाप कर्मों के विशेष फलको भोंग रही है।सू०२०॥ તમે આજ અમને છોડીને કયાં ચાલ્યા ગયાં, તમારા વિગથી મારૂં. હદય ફરી तय छ, मा प्रभाव विमा५ ४२ता ५४ 'सिरीए देवीए महयाइढि० णीहरणं करेइ' श्रीदेवीनी मोटर सपनी साथै श्मशान यात्रा stढी 'करित्ता' भनि २४२ ४ा पछी ते 'आसुइत्ते' अत्यंत अ५ ७शन 'देवदत्तं देवि ' हत्ता वान 'पुरिसेहिं गिण्हावेइ' रापुरुषो द्वारा ५४वी सीधी. 'गिहावित्ता एएणं विहाणेणं वझं आणवेइ' भने प्रत्यक्ष पुरावाने ॥२णे तेपत्ताध्य छे मे प्रमाणे ॥२७साधु: 'एवं खलु गोयमा ! ' मा प्रभार गौतम ! 'देवदत्ता देवी' हैवहता हैवी 'पुरापुराणाणं जाव विहरई' पूनम ४२ हुश्शी), प्रतिsia અને અશુભતમ પાપ કર્મોના વિશેષ ફળને ભેગવી રહી છે. (સૂ૦ ૨૦) શ્રી વિપાક સૂત્ર

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