Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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विषाकचन्द्रिका टीका, श्रु० १, अ० ७, उदुम्बरदत्तवर्णनम् कर्मों का क्षय कर सिद्धिगति को प्राप्त करेगा 'निक्खेवो' इस प्रकार हे जम्बू ! इस सप्तम अध्ययन का यह भाव भगवानने फरमाया है । मैंने जैसा प्रभु से सुना वैसा ही तुम से कहा है ॥ सू १० ॥
॥ इति श्री विपाकश्रुतके दुःखविपाकनामक प्रथमश्रुतस्कन्ध की 'विपाकचन्द्रिका' टीका के हिन्दी अनुवाद में ' उदुम्बरदत्त' नामक
सप्तम अध्ययन सम्पूर्ण ॥ १-७ ॥
४शन सिद्धिगतिन पास ४२0 'निक्खेवो' मा प्रमाणे न्यू ? २सातमा અધ્યયનના આ ભાવ ભગવાને કહેલ છે, મેં પણ પ્રભુ પાસેથી જેવા સાંભળ્યા છે तवी शते तमने उस छे. (सू० १०)
धति विश्रुतना 'दुःखविपाक' नामना प्रथम श्रुतधनी 'विपाकचन्द्रिका' Arn गुजराती अनुवामा
'उदुम्बरदत्त' नाम सातभु
અધ્યયન સપૂર્ણ ૧-૭
શ્રી વિપાક સૂત્ર