Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 10
________________ * आभारी-महात्मा 88% ER WIKE% हिन्दी भाषानुवादक ARRI कच्छ देश पावन कर्ता मोटी पक्ष के पम्प पूज्य श्री कर्मसिंहजी महाराज के शिष्यवर्य । महात्ना कविवर्य श्री नागचन्द्रजी महाराज! इस शास्त्रोद्धार कार्य में आद्योपान्त आप श्री प्राचिन शुद्ध शास्त्र, हुंडी,गुटका और समय पर आवश्यकीय शुभ सम्मति द्वारा मदत देते रहनेसेही 18/ मैं इस कार्य को पूर्ण कर सका. इस लिये केवल 2 में ही नहीं परन्तु जो जो भव्य इन शास्त्रोद्वारा लाभ प्राप्त करेंगे वे सब ही आप के अभारी होंगे. ___ शुद्धाचारी पूज्य श्री खूबा ऋपिजी महाराज के शिष्यवर्य,आर्य मुनि श्री चेना ऋषिजी महाराजके शिष्यवर्य बालब्रह्मचारी पण्डित मुनि श्रीअमोलक ऋपिजी महाराज आपने बडे साहस से शास्त्रोद्धार जैसे महा परिश्रम वाले कार्य का जिस उत्साहसे स्वीकार किया था उस ही उत्साह से तीन वर्ष जितने स्वल्प समय में अहर्निश कार्य को अच्छा बनाने के शुभाशय से सदैव एक भक्त भोजन और दिन के सात घंटे लेखन में व्यतीत कर पूर्ण किया. और ऐसा सरल बनादिया कि कोई भी हिन्दी भाषज्ञ सहज में समज सके, ऐमें ज्ञानदान के महा उपकार तल दवे हुओ हम आप के बड़े अभारी है... . मंघकी तर्फ से. " १.५ ४२४ा आपका अमोल पनि | मुखदेव महाय चाला प्रमाद प द Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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