________________
G0200
समर्पण
जिनका हृदय अलौकिक माधुर्य से आप्लावित है, जिनकी वाणी में अदभुत ओज है, जिनकी कर्तव्य-क्षमता अनूठी है,
उन्ही
श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रमणसंघ के आधारस्तम्भ श्रमणसूर्य कविवर्य महास्थविर मरुधरकेसरी प्रवर्तकवय
मुनि श्री मिश्रीमलजी महाराज
के करकमलों मे सादर सविनय और सभक्ति।
0 मधुकर मुनि
(प्रथम संस्करण से)