Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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卐 12. [Q] Bhante ! In the southern half of the continent named Jambudveep, when the day is shortest or twelve Muhurts long then in the northern half too is the day twelve Muhurts long? And when it is so in the northern half then is the night in the region east and west of the
Meru mountain in Jambudveep is longest or eighteen Muhurts long? [Ans.] Yes, Gautam ! (It is like that, which means – ) In the southern half of the continent named Jambudveep... and so on up to... eighteen Muhurts long.
१३. [ प्र. ] जया णं भंते! जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे 5 भवति तया णं पच्चत्थिमेण वि ? जया णं पच्चत्थिमेणं वि तया णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति ?
[उ. ] हंता, गोयमा ! जाव राई भवति ।
१३. [ प्र. ] भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से पूर्व में जघन्य (सबसे छोटा ) बारह मुहूर्त्त का दिन होता है, तब क्या पश्चिम में भी इसी प्रकार होता है ? और जब पश्चिम में इसी तरह होता है,
तब क्या जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत के उत्तर और दक्षिण में उत्कृष्ट ( सबसे बड़ी) अठारह मुहूर्त्त की रात्रि फ होती है ?
[उ.] हाँ, गौतम ! यह इसी तरह यावत् रात्रि होती है।
13. [Q.] Bhante ! When the day is shortest or twelve Muhurts long in the region east of the Meru mountain in Jambudveep then is the day shortest or twelve Muhurts long in the region west of the Meru mountain too? And when it is so in the east then is the night in the northern region of Jambudveep longest or eighteen Muhurts long?
[Ans.] Yes, Gautam ! (It is like that, which means - )... and so on up 5 to... eighteen Muhurts long.
विवेचन : दिन और रात्रि की कालगणना का सिद्धान्त - जैन सिद्धान्त के अनुसार दिन और रात्रि मिलाकर कुल ३० मुहूर्त्त (= २४ घंटा) के होते हैं। दक्षिण और उत्तर में दिन का उत्कृष्ट मान १८ मुहूर्त्त
(१४ घण्टा २४ मिनट) का होगा तो पूर्व और पश्चिम में रात्रि १२ मुहूर्त्त (९ घण्टा, ३६ मिनट) की होगी ।
दोनों
यदि रात्रि पूर्व व पश्चिम में उत्कृष्टतः १८ मुहूर्त्त की होगी तो दक्षिणार्द्ध एवं उत्तरार्द्ध में जघन्य १२ मुहूर्त्त का
दिन होगा, इसी तरह पूर्व-पश्चिम में जघन्य १२ मुहूर्त्त का दिन होगा तो उत्तर एवं दक्षिण में रात्रि उत्कृष्ट १८
5 मुहूर्त्त की होगी। यदि दक्षिणार्द्ध, उत्तरार्द्ध अथवा पूर्व और पश्चिम में १८ मुहूर्त्तानन्तर का दिन होगा तो पूर्व और पश्चिम में अथवा उत्तर और दक्षिण में रात्रि सातिरेक १२ मुहूर्त्त की होगी ।
तात्पर्य यह है कि ३० मुहूर्त्त अहोरात्र में से दिवस का जितना भाग बढ़ता या घटता है, उतना ही भाग, रात्रि का घटता या बढ़ता जाता है। सूर्य के कुल १८४ मण्डल हैं। उनमें से जम्बूद्वीप में ६५ और लवणसमुद्र में
Bhagavati Sutra (2)
भगवती सूत्र (२)
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