________________
196
भगवती सूत्र शः ५ उः ७
And like this is to be stated upto 'penetrate into the middle of the fire-bodies', difference being that the phrase 'get burnt' is to be used. And like this is to be stated upto 'penetrate into the great cloud named Puskara-sa ṁvartaka', difference being that the phrase 'become wet' is to be used. And like this is to be stated upto 'get carried in the current of the great river Ganga where they slip', and (again) upto ‘penetrate into the whirlpool of water or into water drops' where ( they) get lost.
( characterisation of molecules of matter ]
प्रश्न ११७-परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सअड्ढे सगज्झे सपएसे उदाहु अणड्ढे अमज्झे अपएसे ?
उत्तर ११७-गोयमा ! अणड्ढे अमझे अपएसे णो सअड्ढे णो समजझे णो सपएसे।
प्रश्न ११८-दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे कि सअड्ढे समझे सपएसे उदाहु अणड्ढे अमज्झे अपएसे ?
उत्तर ११८-गोयमा ! सअड् ढे अमझे सपएसे णो अणड्ढे णो समझे 'णो अपएसे।
प्रश्न ११९-तिप्पएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा ?
उत्तर ११९-गोयमा ! अणड्ढे समझ सपएसे णो सअड्ढे णो अमझे जो अपएसे । जहा दुप्पएसिओ तहा जे समा ते भाणियव्वा जे विसमा ते जहा तिप्पएसिओ तहा भाणियव्वा ।
प्रश्न १२०-संखेज्जपएसिए पं भंते ! किं खंधे सअड्ढे पुक्छा ?
उत्तर १२०-गोयमा! सिय सअड्ढे अमझे सपएसे सिय अणड्ढे समझे सपएसे । जहा संखज्जपएसिओ तहां असंखेज्जपएसिओ वि अणंतपएसिओ वि।