Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 13
________________ पढमो उददेसो १. सुयं मे पाउसं ! तेणं भगवया एवमक्खाय इहमेगेसि णो सण्णा भवइ, तं जहापुरथिमानो वा दिसानो आगो अहमंसि, दाहिणाओ वा दिसाम्रो आगो अहमंसि, पच्चत्थिनासो वा दिसानो आगो अहमंसि, उत्तरानो वा दिसाम्रो प्रागो अहमंसि, उड्ढामो वा दिसानो आगो अहमंसि, अहे वा दिसानो आगो अहमंसि, अण्णयरीनो वा दिसाओ अगुदिसानो वा आगो अहमंसि । २. एवमेगेसि णो णायं भवइ अत्थि मे पाया प्रोववाइए, पत्थि मे प्रायश ओदवाइए, के अहं प्रासी ? के वा इनो चुनो इह पेच्चा भविस्सामि ? ३. से जं पुण जाणेज्जा सहसं मइयाए, परवागरणेणं, अण्णेसि वा अंतिए सोच्चा, तं जहापुरथिमानो वा दिसाओ पागो अहमंसि, दक्खिणानो वा दिसानो आगो अहमंसि, पच्चत्थिमानो वा दिसानो आगो अहमंसि, उत्तरानो वा दिसानो आगो अहमंसि, उड्ढामो वा दिसानो आगो अहमंसि, पायार-सुर्त

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