Book Title: Adhyatma Pad Parijat Author(s): Kanchedilal Jain, Tarachand Jain Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan View full book textPage 9
________________ प्रो० (डॉ०) कन्छेदीलाल जैन (सन् १९२९-१९८९ ई०) मध्यप्रदेश के बिलानी ग्राम (पथरिया, जिला दमोह) में पौष कृष्ण अमावास्या वि०सं० १९८६ को एक सामान्य किन्तु सुसंस्कृत परिवार में जन्म प्राप्त प्रो० (डॉ०) कन्छेदीलाल जी का जीवन कठोर परिश्रम, प्राच्यविद्या तथा जिनवाणी के प्रति समर्पण का जीवन्त इतिहास है। अपने मूल्याधारित आदर्शों, कर्तव्यनिष्ठा, शिक्षा-प्रसार, निर्भीक पत्रकारिता एवं समाजसेवा को सर्वोपरि मानने के कारण उन्होंने जो धवल यशार्जन किया, वह नवीन पीढ़ी के लिए प्रेरणा एवं उत्साह का स्रोत बन गया। सन्तान की निरभिमानता, सच्चरित्रता एवं गगनचुम्बी प्रगतिशीलता वस्तुत: उनके माता-पिता के कठिन त्याग, तपस्या एवं बच्चों के जीवन-निर्माण के प्रति उनके दृढ़संकल्प का प्रतिफल माना गया है। डॉ० कन्छेदीलाल जी एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती क्रान्ति जैन पर यह उक्ति पूर्णतया घटित होती है। उनके ज्येष्ठ पुत्र श्री पुष्पभद्र जैन जहाँ भारत सरकार के एन०एच०पी०सी० में वरिष्ठ इंजिनियर पदाधिकारी है, वहीं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रश्मि जैन एक मल्टी नेशनल कम्पनी में वरिष्ठ कम्प्यूटर इंजिनियर है। इसी प्रकार उनके कनिष्ठ पुत्र श्री यशोभद्र, मध्यप्रदेश शासन में विद्युत विभाग के इंजिनियर है तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमती नीरुप्रभा सागर वि०वि० के रसायनशास्त्रविभाग में यू०जी०सी०फैलो के रूप में शोध कार्यरत हैं। इसी प्रकार डॉ० सा० की एक पुत्री मध्यप्रदेश शासन में भौतिकशास्त्र की वरिष्ठ व्याख्याता तथा अन्य दो सुपुत्रियाँ मेडिकल डॉक्टर हैं और समाज सेवा में कार्यरत हैं। आज डॉ० कन्छेदीलाल जी का भौतिक शरीर हमारे बीच नहीं है किन्तु उनका यशस्वी जीवन सभी की प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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