Book Title: Aagam 07 UPASAK DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 15
________________ आगम (०७) “उपासकदशा” - अंगसूत्र-७ (मूलं+वृत्तिः ) अध्य यन [१], --------- ------- मूलं [७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [०७], अंग सूत्र - [०७] "उपासकदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्राक ७ि) धणधन्नपमाणाइक्कमे कुवियपमाणाइलमे ५। तयाणन्तरं च णं दिसिवयस्स पञ्च अइयारा जाणियब्वा न समायरियब्वा, तंजहा-उबृदिसिपमाणाइक्कमे अहोदिसिपमाणाइक्कमे तिरियदिसिपमाणाइक्कमे खेलबुट्टी सइअन्तरद्धा ६॥ तयाणन्तरं च णं उवभोगपरिभोगे दुविहे पण्णने, तंजहा-भोयणओ य कम्मओ य, तत्थ ण भोयणओ समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियब्वा न समायरियब्वा, तंजहा-सचित्ताहारे सचित्तपडिबद्धाहारे अप्पउलिओसहिभक्खया दुप्पउलिओसहिभक्खणया तुच्छोसहिभक्खणया, कम्मओ णं समणोवासएणं पणरस कम्मादाणाई जाणियच्चाई न समायरियव्वाई, तंजहा-इङ्गालकम्मे वणकम्मे साडीकम्मे भाडीकम्मे फोडीकम्मे दन्तवाणिजे लक्खवाणिजे रसवाणिजे विसवाणिज्जे केसवाणिजे जन्तपीलणकम्मे निल्लञ्छणकम्मे दवग्गिदावणया सरदहतलावसोसणया असईजणपोसणया ७ । तयाणन्तरं च णं अणट्ठादण्डवेरमणस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियब्वा ने समायरियब्वा, तंजहा-कन्दप्पे कुकुइए मोहरिए सजुत्ताहिगरणे उपभोगपरिभोगाइरिने ८ । तयाणन्तरं च णं । सामाइयस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियब्वा न समायरियव्वा, तंजहा-मणदुप्पणिहाणे वयदुप्पणिहाणे कायदुप्पणिहाणे सामाइयस्स सइअकरणया सामाइयस्स अणवट्ठियस्स करणया ९ । तराणन्तरं च णं देसावगासियरस समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियब्वा न समायरियव्वा, तंजहा-आणवणप्पओगे पेसवणप्पओगे ॥ सदाणुवाए रूवाणुवाए बहिया पोग्गलपक्खेथे १० । तयाणन्तरं च णं पोसहोववासस्स समणोवासएणं पञ्च दीप अनुक्रम FaPranaamvam ucom Loanataramorg | सम्यक्त्व एवं द्वादश व्रतानां अतिचार-वर्णनं ~ 14~

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