Book Title: Aagam 07 UPASAK DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(०७)
"उपासकदशा” - अंगसूत्र-७ (मूलं+वृत्तिः ) अध्ययन [२],
------ मूलं [१८-१९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०७], अंग सूत्र - [०७] "उपासकदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
सपासक दशा
२कामदेवा
ध्ययनम्
प्रत सूत्रांक [१८-१९]
दीप अनुक्रम २०-२१]
अथ द्वितीयमध्ययनम् । जह पं भन्ते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सम्पत्तेणं सत्तमस्स अस्म उवासमदसाणं पढमस्स अन्झ-121 शायणस्म अयमद्वे पण्णत्ते दोच्चस्स णं भन्ते ! अल्झयणस्स के अटे पण्णते ?. एवं खलु जम्यू! तणं कालणं तेणं समएणं
चम्पा नाम नयरी होत्था, पुण्णभद्दे चेइए, जियसत्तू राया, कामदेवे गाहावई, भद्दा भारिया, छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, छ बुडिपउत्ताओ, छ पवित्थरपउत्ताओ, छ क्या दसगोसाहस्सिएणं वएणं । समोसरणं । जहा
आणन्दो तहा निग्गओ, तहेब सावयधम्म पडिवजइ, सा चेव वनव्वया जाव जेट्ठपुत्तं मित्तनाई आपुच्छित्ता जेणेव |पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ २ ना जहा आणन्दो जाव समणस्स भगवओ महावीरस्म अन्तियं धम्मपण्णति उवसम्पजित्ता णं विहरइ (सू. १८)
तए णं तस्स कामदेवस्स समणोवासगस्स पुव्वरत्नावरत्नकालसमयसि एगे देवे मायी मिच्छट्ठिी अन्तियं पाउम्झए, तए णं से देवे एगं महं पिसायरूवं विउच्चइ, तस्स णं देवस्स पिसायरूवस्स इमे एयारूवे वण्णावासे |पण्णत्ते-सीसं से गोकिलासंठाणसंठियं सालिभसेल्लसरिसा से केसा कविलतेएणं दिप्पमाणा महल्लउट्टियाकभल्लसंठाणसंठियं निडालं मुगुंसपुंछ व तस्स भुमगाओ फुग्गफुग्गाओ विगयवीभच्छदसणाओ सीसघडिविणिग्गयाई
SantaiN
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अथ द्वितीयं अध्ययनं-"कामदेव आरभ्यते कामदेव श्रावकस्य कथा)
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