Book Title: Aagam 07 UPASAK DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
आगम
(०७)
प्रत
सूत्रांक
[३१]
दीप
अनुक्रम
[३३]
अध्ययन [ ४ ] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ........ आगमसूत्र [०७], अंग सूत्र [०७]
“उपासकदशा” - अंगसूत्र- ७ (मूलं + वृत्ति:)
उपासक
दशाङ्गे
केऽवि पुरिसे सरीरंसि जमगसमगं सोलस रोगाय पक्खिवर, एस णं केवि पुरिसे तुब्धं उवसग्गं करेइ, सेसं जहा चुलणीपियस्स तहा भणइ, एवं सेसं जहा चुलणीपियस्स निरवसेसं जाव सोहम्मे कप्पे अरुणकन्ते विमाणे उववन्ने । ॐ चत्तारि पलिओ माई ठिई, महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ ५, निक्खेवो ॥ (सू. ३१ )
॥ ३५ ॥
अत्र चतुर्थ अध्ययनं परिसमाप्तं
सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं चउत्थं अज्झयणं समनं ॥
'जमगसमगं' ति यौगपद्येनेत्यर्थः, 'सासे' इत्यादौ यावत्करणादिदं दृश्यं सासे १ कासे २ जरे ३ दाहे ४, कुच्छिसूले ५ भगन्दरे ६ । अरिसा ७ अजीरए ८ दिट्ठी ९ मुद्धसूले १० अकारण ११ ॥ १ ॥ अच्छिवेयणा १२ कण्णवेयणा १३ कण्डू १४ उदरे १५ कोढे १६ ।।' अकारकः- अरोचकः ॥ ( सू. ३१ )
॥ इति चतुर्थाध्ययनविवरणं समाप्तम् ॥
मूलं [३१]
“उपासकदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः
For Parts Only
~73~
1482000
४ सुरा
देवा० रोगतङ्कग
न्तोप०
।। ३५ ।।
Corp

Page Navigation
1 ... 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113