Book Title: Aagam 07 UPASAK DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 109
________________ आगम (०७) “उपासकदशा” - अंगसूत्र-७ (मूलं+वृत्ति:) अध्य यन [९,१०], ------ ------ मूलं [५५-१६] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०७], अंग सूत्र - [०७] "उपासकदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [५५-५६] दीप अनुक्रम [५७-५८ नवमदशमे अध्ययने । नवमस्म उक्खेवो, एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नयरी कोट्ठए चेइए जियसनराया तत्थ णं सावत्थीए नयरीए नन्दिणीपिया नाम गाहावई परिवसइ अड्डे चत्तारि हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ चत्तारि हिरण्णकोडिओ बुडिपउत्ताओ चत्तारि हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ चत्तारि वया दसगोसाहहिएणं वएणं अस्मिणी भारिया सामी समोसढे जहा आनन्दो तहेव गिहिधम्म पडिबज्जइ सामी बहिया विहरइ, नए णं से नन्दिणीपिया समणोवासए जाए जाव विहरइ, तए णं तस्स नन्दिणीपियस्म समणोबासयस्स बहूहिं सीलव्दयगुण जाव भावमाणस्स चोइस संवच्छराई वइक्वन्ताई तहेव जेहें पुत्तं ठवेइ धम्मपण्णत्ति वीसं वासाई पक्ष परियागं नाणत्त अरुणगवे विमाणे उववाओ । महाविदेहे वासे सिन्झिहिइ ॥ निक्खेवो ॥ उवासगदसाणं नवमं] अज्झयणं समतं ॥ (सूत्रं ५५) दसमस्स उक्खेवो, एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नयरी कोट्ठए चेइए जियसत्तू तत्थ जाणं सावत्थीए नयरीए सालिहीपिया नाम गाहावई परिवसइ अड़े दित्ते चत्तारि हिरपणकोडीओ निहाणपउत्ताओ चत्वारि हिरणकोडिओ बुडिपउत्ताओ चत्वारि हिरण्णकोडीओं पवित्थरपउत्ताओ चचारि वया दसगोसाहस्तिएणं एणं करगुणी भारिया साभी समोसढे जहा आणन्दो तहेव गिहिधम्म पडिबजइ, जहा कामदेवो तहा जेटुं पुत्तं ठवेत्ता hunmurary.orm | अथ नवमीदशमं अध्ययने "नंदिनीपिता" एवं "शालिहीपिता" आरभ्यते नंदिनीपिता एवं शालिहीपिता बोथ श्रमणोपासको कथा] ~ 108~

Loading...

Page Navigation
1 ... 107 108 109 110 111 112 113