Book Title: Aagam 07 UPASAK DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 77
________________ आगम (०७) “उपासकदशा” - अंगसूत्र-७ (मूलं+वृत्तिः ) अध्ययन [६], ----- मूलं [३५-३६] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०७], अंग सूत्र - [०७] "उपासकदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३५-३६] अथ षष्ठमध्ययनम् ॥ ॥ छट्ठस्स उक्खेवओ-एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं कम्पिल्लपुरे नयरे सहसम्बवणे उज्जाणे जियसत्तू रायी कुण्डकोलिए गाहावई पूसा भारिया छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ छ बुड्विपउत्ताओ छ पवित्थरपउनाओ छ क्या दसगोसाहस्सिएणं वएणं । सामी समोसढे, जहा कामदेवो तहा सावयधम्म पडिवज्जइ । मञ्चेव वत्तब्बया जाव पडिलाभेमाणे विहरइ (सु. ३५) तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए अन्नया कयाइ पुवावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया जेणेव पुढाविसिलापट्टए तेणेव उवागच्छइ २ ता नाममुद्दगं च उत्तरिजगं च पुढविसिलापट्टए ठवेइ २ ता समणस्स भगवओ महावीरस अन्तियं धम्मपण्णानिं उवसम्पग्जिचा णं विहरइ,तए णं तस्म कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्म एगे देवे अन्तियं पाउभविस्था तए णं से देवे नाममुदं च उत्तरिज्जं च पुढविसिलापट्टयाओ गेण्हइ २ त्ता सखित्रिणिं अन्तलिक्खपडिवन्ने कुण्डकोलियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भो कुण्डकोलिया! समणोवासया सुन्दरीणंदेवाणुप्पिया गोसालस्स मङलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती-नस्थि उट्ठाणे इ वा कम्मे इ वा बले इ वा वीरिए इ वा पुरिसक्कारपरक्कमे इ वा नियया सवभावा, मङ्गुली णं समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णती अस्थि उट्ठाणे इ वा जाव परक्कमे इ वा अणियया सच्वभावा, तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए तं देवं एवं वयासी-जइ णं देवा ! सुन्दरीगोसालस्स दीप अनुक्रम [३७-३८] jaanasurary.com अथ षष्ठं अध्ययनं "कुंडकोलिक* आरभ्यते [कुंडकोलिक-श्रमणोपासक कथा] कुंडकोलिक-श्रमणोपासकः एवं मिथ्यादृष्टिः देवकृत: मिथ्यात्व प्रेरणा ~ 76~

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