Book Title: Aagam 07 UPASAK DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

Previous | Next

Page 75
________________ आगम (०७) “उपासकदशा” - अंगसूत्र-७ (मूलं+वृत्तिः ) अध्ययन [५], ----- मूलं [३२-३४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०७], अंग सूत्र - [०७] "उपासकदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३२-३४] अथ पञ्चममध्ययनम् ॥ एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं आलभिया नाम नयरी, सइवणे उज्जाणे जियसन राया, चुल्लसयए गाहावई अड्डे जाव छ हिरण्णकोडीओ जाव छ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं बहुला भारिया सामी समोसढे, जहा आणन्दो तहा गिहिधम्म पडिवज्जइ, सेसं जहा कामदेवो जाव धम्मपण्णतिं उवसम्पन्जित्ताणं विहरइ॥ दीप अनुक्रम [३४-३६] तए णं तस्स चुल्सयगस्स समणोवासयस्स पुब्बरतावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तियं जाव असिं गहाय एवं वयासी-हं भो चुल्लसयगा समणोवासया !जाव न भञ्जसि तो ते अज्ज जेटुं पुतं साओ गिहाओ नाणेमि एवं जहा चुलणीपियं, नवरं एक्के के सत्त मंससोल्लया जाव कणीयसं जाव आयश्चामि, तए णं से चुल्लसयए समणोबासए जाव विहरइ, तए णं से देवे चुल्लसयगं समणोवासयं चउत्थंपि एवं वयासी-हं भो चुल्लसयगा! समणोवासया जाव, न भञ्जसि तो ते अज्ज जाओ इमाओ छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ छ बुडिपउनाओ छ पवित्थरपउत्ताओ ताओ साओ गिहाओ नीणेमि २ ला आलभियाए नयरीए सिङ्घाडग जाव पहेस सवओ समन्ता विप्पइरामि, जहा णं तुम अट्टहट्टक्सटे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जास, तए णं से चुल्लसयए समणोवासए तेणं देवेणं एवं बुत्ते ।। SAREauratonintntiational For m e | अथ पंचमं अध्ययनं "चुल्लशतक" आरभ्यते [चुल्लशतक-श्रमणोपासक कथा] ~ 74~

Loading...

Page Navigation
1 ... 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113