Book Title: Aagam 07 UPASAK DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

Previous | Next

Page 54
________________ आगम (०७) “उपासकदशा” - अंगसूत्र-७ (मूलं+वृत्ति:) अध्ययन [२], ------ मूलं [२२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०७], अंग सूत्र - [०७] "उपासकदशा” मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: उपासक- दशाङ्गे ॥२५ कामदेवाध्ययनम् प्रत सूत्रांक [२२]] क-29 दीप त्ति लौकिकानुकरणभाषा, पच्छिमेणं भाएणं' ति पुच्छेनेत्यर्थः, 'निकुडेमि' ति निकुट्टयामि प्रहण्मि 'उज्जलं ति उज्ज्वला विपक्षलेशेनाप्यकलडिन्ता, विपुला शरीरव्यापकत्वात् , कर्कशां कर्कशद्रव्यमिवानिष्टा, प्रगाढा-प्रकर्षवती चण्डों-रौद्रा दुःखां-| दुःखरूपां, न सुखामित्यर्थः, किमुक्तं भवति–'दुरहियासं' ति दुरधिसद्यामिति ( म्. २२) तए णं से देव सप्परूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ २ ना जाहे नो संचाएइ कामदेवं समणावासयं निग्गन्थाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामिनए वा ताहे सन्ते ३ सणियं सणियं पञ्चोसकइ २ ना पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ २ ना दिव् सप्परूवं विप्पजहइ २ ना एगं महं दिव्यं देवरूवं विउब्वइ हारविराइयवच्छं जाव दस दिसाओ उज्जावमाणं पभासेमाणं पासाईयं दरिसणिजं अभिरूवं पडिरूवं दिव्वं देवरुवं । विउव्वद २ ता कामदेवस्स समणावासयस्स पोसहसालं अणुप्पविसइ २ ता अन्तलिक्खपडिवन्ने ससिद्धिणियाई पञ्चवण्णाई वत्थाई पवरपरिहिए कामदेवं समणोबासयं एवं वयासी-" हंभो कामदेवा समणोवासया ! धन्ने सिणं तुम देवाणुप्पिया ! सपुण्णे कयत्थे कयलकखणे सुलद्धे णं तब देवाणुप्पिया !माणुस्सए जम्मजीवियफले, जस्स णं तव निग्गन्थे पावयणे इमेयारूवा पडिवत्ती लदा पत्ता अभिसमन्नागया । एवं खलु देवाणुप्पिया ! सक्के देविन्दे देवराया जाव सकसि सीहासणंसि चउरासीईए सामाणियसाहस्सीणं जाव अन्नेसिं च बहणं देवाण य देवीण य मझगए एवमाइक्खड ४-एवं खलु देवा ! जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे चम्पाए नयरीए कामदेवे समणोवासये पोसहसालाए अनुक्रम [२४] ॥२५॥ JMERurati For Pare P anasaram.org कामदेवस्य धर्मप्रज्ञप्ति: एवं मायी-मिथ्यादृष्टि: देवकृत: उपसर्ग: ~534

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113