Book Title: Aagam 07 UPASAK DASHA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
आगम
(०७)
“उपासकदशा” - अंगसूत्र-७ (मूलं+वृत्तिः ) अध्ययन [२],
------ मूलं [१८-१९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०७], अंग सूत्र - [०७] "उपासकदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
-
प्रत सूत्रांक [१८-१९]
दीप अनुक्रम २०-२१]
अच्छीणि विगययीभच्छदसणाई कण्णा जह सुप्पकत्तरं चेव विगययीभच्छदसणिजा, उरभपुडसन्निभा से नासा, झुसिरा जमलचुल्लीसंठाणसंठिया दोऽवि तस्स नासापुडया, घोडयपुंछं व तस्स मंसूई कविलकविलाई विगयवीभच्छदसणाई, उट्ठा उदृस्स चेव लम्बा, फालसरिसा से दन्ता, जिन्भा जहा सुप्पकत्तरं चेव विगयवीभच्छदंसणिजा, हलकुद्दालसठिया से हणुया, गल्लकडिल्लं च तस्स खडं फुट्ट कविलं फरुसं महल्लं, मुइङ्गाकारोवमे से खन्धे, पुरवरकवाडोवमे से वच्छे, कोट्ठियासंठाणसंठिया दोऽवि तस्स बाहा, निसापाहाणसंठाणसंठिया दोऽवि तस्स अग्गहत्था, |निसालोढसंठाणसंठियाओ हत्थेसु अङ्गुलीओ, सिप्पिपडगसंठिया से नकखा, पहावियपसेवओ ब्व उरंसि लम्बन्ति दोऽवि तस्स थणया, पोट्टे अयको?ओ व बटुं, पाणकलन्दसरिसा से नाही, सिक्कगठिाणसंठिया से नेते, किण्णपुडसंठाणसंठिया दोऽवि तस्स वसणा, जमलकोट्ठियासठाणसंठिया दोऽवि. तस्स ऊरू, अम्जुणगुटुं व तस्स जाणूई कुडिलकुडिलाई विगयबीभच्छदसणाई, जङ्घाओ कक्खडीओ लोमेहि उवचियाओ. अहरीलोढसंठाणसंठिया दाऽवि तस्स पाया, अहरीलोढसंठाणसंठियाओ पाएमु अगुलीओ. सिप्पिपुडसंठिया से नक्खा लडहमडहजाणुए विगयभग्गभुग्गभुमए अवदालियवयणविवरनिल्लालियग्गजीहे सरडकयमालियाए उन्दुरमालापरिणद्धसकयचिंधे नउलकयकण्णपूरे सप्पकयवेगच्छे अप्फोडन्ते अभिगजन्ते भीममुक्कट्टहासे नाणाविहपञ्चवणेहिं लोमेहिं उवचिए । | एगं महं नीलुप्पलगवलगुलियअयसिकुसुमप्पगासं असिं खुरधारं गहाय जेणेव पोसहसाला जेणेव कामदेवे समणो
PANCSC
REarathimithana
FarPurwanamuronm
Auditurary.com
कामदेवस्य धर्मप्रज्ञप्ति: एवं मायी-मिथ्यादृष्टि: देवकृत: उपसर्ग:
~ 42 ~

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113