Book Title: Yogshastra
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

View full book text
Previous | Next

Page 38
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४ नमस्कार योग है । अतः जब किसी ने पूछा कि "तुम कौन हो?" तो उसने कहा कि “मैं हिन्दु हूं।' कस्टम वालों ने जब पूछा तो कहा, "मैं व्यापारी हूं।'' जब वह अपने मोहल्ले में पाया और किसी ने पूछा कि "प्राप कौन हैं ?" तो उसने कहा, "मैं बनिया हूं।" अरे भाई बनिये तो हो पर कैसे बनिये हो ? तो बोला "मैं जैन हूं।" पूछा, "आप कौन से जैन हैं ? श्वेतांबर, दिगंबर या स्थानकवासी ? क्या आप मन्दिर जाते हैं, पूजा करते हैं ?" उसने कहा, "मैं मन्दिरमार्गी जैन हूं।" जब वह उपाश्रय में गया तो किसी ने पूछ लिया, "आप किस गच्छ को मानते हैं ? तपागच्छ, खरतरगच्छ, अंचलगच्छ, विमलगच्छ, लोंकागच्छ या पायचंद गच्छ ?" वह बेचारा घबरा गया, झिझक कर जबाब दिया, "मैं तपागच्छी मंदिरमार्गी जैन हिन्दु बनिया भारतीय हूं । "देखा आपने ! कितनी दीवारें हैं, कितने भेद प्रभेद हैं, यहाँ भारतीय कहने से काम नहीं चलता, जबकि विदेशों में अपने देश की नागरिकता बताने से काम चल जाता है । प्रात्म प्रकाश सूत से वस्त्र की और धार से शस्त्र की परीक्षा होती है, वैसे ही कर्तव्य से मनुष्य की परीक्षा होती है, नाम से नहीं होती। पदार्थ का ज्ञान सामान्य और विशेष, दो प्रकार से होता है । अग्नि उष्णता गुरण वाला एक द्रव्य है यह सामान्य ज्ञान हुआ । अग्नि की उष्णता से भोजन पकाया जाता है, अंधकार दूर किया जाता है, सर्दी से रक्षा की जाती है, यह विशेष ज्ञान या विज्ञान हुा । विज्ञान से ही उसका सही उपयोग होता है । यदि भोजन बनाने की विधि की जानकारी न हो तो अग्नि से भोजन पकने की बजाय जल जायेगा । अंधकार दर होने के स्थान पर प्राग लगने का खतरा उठाना पड़ेगा और सर्दी से रक्षा की बजाय शरीर या वस्त्र जला बैठेंगे। नवकार (नमस्कार) भी एक प्रकार की विद्युत या भाप जैसी शक्ति वाला मंत्र है । नवकार मंत्र के ध्यान से प्रात्मप्रकाश होता है । सामान्यतः नवकार मंत्र के ध्यान से या जाप से श्रद्धा और भक्ति पैदा होगी, परन्तु विशेष जाप से मोक्ष प्राप्ति हो सकती है। जैसे ताजमहल सांसारिक प्रेम का प्रतीक और पाबू मंदिर धर्म का प्रतीक है, वैसे ही नवकार भी प्रानन्द का प्रतीक है। घन-पानन्द (अत्यधिक प्राध्यात्मिक आनन्द) भी प्रेम का प्रतीक है। प्रानन्द तीन प्रकार का होता है, तरल, गैस और ठोस । जो पानी की तरह से बह कर शीघ्र समाप्त हो जाने वाला हो वह तरल अानन्द, जो For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157