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जमस्कार योग
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मनुष्य के मन में रही हुई अहंकार की गोली न तो अपनी बुराई को निकालने देती है और न दूसरों की अच्छाई को ग्रहण करने देती है।
एक विदेशी ने बाजार में अपना फोटो बिकते देखा। वह स्टूडियो में गया और अपने जितने फोटो वहां थे सभी खरीद लिये । खरीद कर उन्हें वहीं जला दिया । जब स्टूडियो के मालिक ने उससे फोटो जलाने का कारण पूछा तो उसने कहा "क्या आपको मालुम है ये फोटो किसके हैं ? यह फोटो जापान के मुख्य सेनापति के है जिस पर देश को स्वतंत्रता की जिम्मेदारी है । "जब उससे पूछा कि “आप कौन हैं ? क्या आप विदेशी हैं ? आपने चित्र क्यों जलायें ?'' तब उस विदेशी ने कहा "मैं विदेशियों का जासूस हूँ। मैं ही जापान का सेनापति हूँ। लोग संत पुरुषों के चित्र के साथ मेरा चित्र लगायेंगे । तब देखने वाले कहेंगे क्रूरता और अहिंसा का क्या मेल ? मैं नहीं चाहता कि संत और सैनिक एक ही प्रासन पर बैठे।
अहं अपनी पहिचान देना चाहता है कि मैं कौन हूँ ? स्वयं अपनी पहिचान को मिटाना चाहता है कि मैं कुछ भी नहीं हूँ। एक साधु के पास तीन व्यक्ति साधना करने के लिये पाये । साधु ने पहले व्यक्ति से पूछा, "तुम कौन हो ?" "उसने कहा, मैं ठाकुर हूं, बीस गांवों का जागोरदार हूँ।" दूसरे व्यक्ति से पूछा, "तुम कौन हो ?" उसने कहा, "मैं करोड़पति नगर सेठ का पुत्र हूँ । “अब तीसरे से पूछा, "तुम कौन हो ? 'उसने कहा मैं मभी तक यह नहीं जान पाया हूँ कि मैं कौन हूं। यदि जान लेता तो फिर मापके पास आने की आवश्यकता ही क्या थी ? आप ही बताइये कि "मैं कौन हूं ? स्वयं ही भूल गया हूं। नाम गौत्र में कैदी बना हूं।" साधु ने मन में सोचा कि यह तीसरा व्यक्ति ही सच्चा साधक है । एक को धन का प्रहं है तो दूसरे को जमीन का। इस तीसरे व्यक्ति को किसी प्रकार का महं नहीं है। यह वास्तव में अपने अस्तित्व को ढूढना चाहता है । यही सच्चा साधु है । साधु ने उसे अपने पास रख लिया।
. एक व्यक्ति बहुत वर्षों से जापान में रहता था। किसी शादी के प्रसंग पर वह भारत पा रहा था। जब वह जहाज में यात्रा कर रहा था तब कुछ अत्रियों ने उससे पूछा कि, "प्राप कौन हैं ?" उसने कहा, ''मैं भारतीय हूं।" जब बम्बई पहुंचा तो सुना वहाँ हिंदु मुसलमानों का झगड़ा चल रहा
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