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काय योग (हठ योग)
काला रंग काला रंग सबसे स्थायी रग है । इस पर किसी दूसरे रंग का असर नहीं होता। कहावत भी है काली कंबलिया पर चढ़त न दूजो रंग ।' इससे अधिक गहरा और सक्रिय और दूसरा कोई रंग नहीं होता इस रग का प्रेमी सिद्धान्त प्रिय, त्यागी और विचारशील होता है। काले रंग को प्रमुखता देने वाला व्यक्ति बलवान, संकल्प वाला और लक्ष्यपूर्ति के लिये सब कुछ त्यागने में समर्थ होता है। जैसे काला रंग किसी दूसरे रंग को स्वीकार नहीं करता, वैसे ही उसके उपासक को भी एक बार वैराग्य जागृत हो जाने पर वह कभी मुड़ कर भी संसार की अोर नहीं देखता।
हरा रंग हरा रंग उत्साह शांत और स्थिर स्वभाव का सूचक है। यही एक ऐसा रग है जो व्यक्ति को अनियन्त्रित क्रोध, रक्तक्रांति तथा निरंकुश व्यक्तियों से बचाता है। वर्तमान रंग विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रतिदिन नियमित रूप से हरियाली के मध्य रहा जाय तो अनेक शारीरिक और मानसिक रोगों से बचा जा सकता हैं । इस रंग को प्रमुखता देने वाला व्यक्ति स्वाभिमानी और दृढ़ संकल्पी होता है। यह रंग ज्ञान तन्तुओं के उत्तेजन का शमनकारी होता है, इसलिए अस्पतालों में शोभा के लिए हरे रंग के पर्यों का उपयोग किया जाता हैं। शुद्ध हरे रंग के साथ थोड़ा राख जैसा रंग मिश्रित किया जाय तो वह रंग अत्यन्त शांति प्रदायक होता है । अत्यन्त चमकदार धातु से बना हरा रंग हानिकारक होता है।
पीला रंग ऐसा जानने में आया है कि पीले रंग के साथ दीर्घकाल तक रहने से शरीर में रोग के अत्यन्त बासदायी चिह्न प्रकट होते हैं इन चिह्नों के शरीर में प्रकट होने के पश्चात् भी यदि बीमार को पीले रंग के कमरे में रखा जाय तो उसे अपस्मार का रोग हो जाता है । खरगोश और सुपर पर तो पीले रंग का असर इतना अधिक होता है कि वे स्वयं अपने को ही काटने लगते है। वे इतने भयभीत हो जाते है कि जरा सी आवाज होने पर चमक कर मर जाते हैं । इस रंग का उपासक अपनी इच्छानुसार कार्य करने वाला और कर्म में प्रफुल्लता उत्पन्न करने वाला होता है । इस रंग की प्रधानता में शक्ति, बुद्धिमता, दयालुता और नम्रता आदि
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