Book Title: Yogshastra
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 116
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वभाव पुरूषार्थ म्वभाववाद दर्शन मानता है कि सभी पदार्थ स्वभाव सिद्ध हैं। काल की भी शक्ति है. किंतु काल स्वभाव के विरुद्ध वस्तु का निर्माण करने में असमर्थ है। प्याज को सैकड़ों वर्ष तक खेत में रोपा जाय तो भो प्याज में से जामफल उत्पन्न करने की शक्ति काल में नहीं है । काल, पुरुषार्थ और कर्म सभी मिलकर भी विष को अमृत में परिवर्तित नहीं कर सकते । क्यों कि स्वभाव अपरिवर्तनीय है । मछली वर्षों तक पानी में रहती है किन्तु मनुष्य क्या उतने समय तक पानी में रह सकता है ? नहीं रह सकता, क्यो कि यह उसका स्वभाव नहीं है। बीरबल ने कहा "जो व्यक्ति माघ की ठंड में सारी रात जमुना नदी में खड़ा रहेगा, उसे इनाम दिया जायेगा।" एक व्यक्ति सारी रात जमुना में खड़ा रहा, दूसरे दिन जब वह इनाम लेने पाया तो बादशाह ने कहा, "मेरे महल के झरोखे में जो दीपक जल रहा था, उसी की गर्मी से तू रात भर जमुना में खड़ा रह सका, फिर इनाम किस बात का ?" बीरबल ने देखा बेचारा गरीब मुफ्त में मारा जा रहा है । उसने एक तरकीब सोची बादशाह के महल के नीचे दो बांसों पर खिचड़ी की हंडिया बांधी और उसके नीचे चल्हा जला दिया। बादशाह ने पूछा, 'बीरबल क्या कर रहे हो ?" बीरबल बोला, "हुजूर ! खिचडो पका रहा हूँ ।।" बादशाह ' अरे इतनी ऊंची हंडिया में खिचड़ी कैसे पकेगी ?" बीरबल "हजर ! जैसे आपके झरोखे के दीपक की गर्मी से एक व्यक्ति रात भर जमुना में खड़ा रह सका, वैसे ही मेरे चूल्हे की गर्मी से बांस पर बंधो खिचड़ी भी रात भर में पक ही जायेगी। चूल्हे से बांस को दुरी तो कम ही हैं, झरोखे के दीपक से जमुना की दूरी तो कुछ अधिक हो होगी।" बादशाह निरुत्तर हो गया, उसने जमुना में खड़े रहने वाले व्यक्ति को बुलवा कर इनाम दे दिया। स्वभाव के चार प्रकार है:- १. वस्तु स्वभाव २. देश स्वभाव ३ जाति स्वभाव और ४. काल स्वभाव । For Private And Personal Use Only

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