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काय योग (हठ योग)
मचाना प्रारंभ कर देगा। कुछ पशु भी लाल रंग से भड़कते हैं, विशेष कर साँड और बाघ को लाल रंग अधिक उत्तेजित करता है। कुछ पक्षियों को भी लाल रंग से द्वेष होता है। यदि पाप केनरी नामक पक्षी के समक्ष लाल रंग का कपड़ा उड़ायें तो उसे हिचकी आने लगेगी। यदि किसी घर में कोई व्यक्ति तेज मिजाज का है और कमरे का रंग लाल है या लाल पर्दे लगे हुए हैं तो पति-पत्नि में कलह अवश्य भावी है ।
गहरे लाल रंग के ध्यान से, मांसपेशियों की उत्तेजना बढ़ती है। इस रंग के अधिक ध्यान से नाक से खून गिरते हुए और कभी कभी व्यक्ति को बेहोश होता भी देखा गया है। दूसरे ही दिन नीले, काले रंग के साथ सिद्ध पद का ध्यान करने से बिना किसी उपचार के एक सप्ताह में स्वस्थ होते हुए भी देखा गया । रक्त वेग अपने पाप ही शान्त हो गया ।
एक माता ने बताया कि जब वह बच्चे को लाल रंग के कपड़े पहनाती है और स्वयं भी लाल साड़ी पहनकर बच्चे को गोद में लेती है, तब कुछ ही मिनटों बाद वच्चा बैवेन हो जाता है । बच्चे की नाड़ी की गति और रक्तचाप तेज हो जाते हैं। एक माता ने बताया कि उसके और बच्चे के कपड़े लाल थे। बच्चा मेरी गोद में था। कुछ समय बाद बालक सुस्त हो गया। जब डाक्टर से जाँच करवाई तो डाक्टर ने बालक को उच्च रक्त चाप होना बताया। बालक को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। जब माता का सम्पर्क छूटा और बालक को अस्पताल के सफेद कपड़े पहनाये गये तो बिना किसी इलाज के बालक स्वस्थ हो गया। उसका रक्तचाप ठीक हो गया।
श्वेत रंग सफेद रंग प्रत्येक रंग की विशेषता को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह रंग पवित्रता का प्रतीक है । इस रंग के ध्यान से काम, क्रोध आदि प्रवत्तियों की कालिमा से दूर रहने की भावना उत्पन्न होती है। इस रंग का उपासक, क्रमशः संदेहावस्था में ही राग द्वेष से मुक्ति पा लेता है । वैसे यदि मात्र सफेद रंग को ही निरन्तर प्रखण्ड देखा जाय तो अत्यन्त हानि होती है । उत्तरी ध्र व प्रदेशों में निरन्तर बर्फ को देखने वाले लोगों में अधापन एक सामान्य रोग माना जाता है। यदि आप निरतर आठ दिन तक मात्र सफेद रंग को ही देखें तो अधापना पा सकता है ।
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