Book Title: Yogshastra
Author(s): Samdarshimuni, Mahasati Umrav Kunvar, Shobhachad Bharilla
Publisher: Rushabhchandra Johari

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Page 7
________________ कहाँ क्या है १. योग-शास्त्र : एक परिशीलन २. जीवन-रेखा ३. प्रथम प्रकाश मंगलाचरण, योग की महिमा, योग का स्वरूप, रत्न-त्रय, पाँच महाव्रत, पञ्च-समिति त्रि-गुप्ति की साधना । ४. द्वितीय प्रकाश देव, गुरु, धर्म का लक्षण, सम्यक्त्व का स्वरूप और अणुव्रत का वर्णन । तृतीय प्रकाश तीन गुणवत, चार शिक्षाव्रत, श्रावक की दिनचर्या, तीन मनोरथ और साधना-विधि । ६. चतुर्थ प्रकाश रत्न-त्रय और आत्मा का अभेद संबन्ध, कषाय एवं राग-द्वेष का स्वरूप तथा उन्हें जीतने का मार्ग, बारह भावनाएँ एवं ध्यान की पोषक मैत्री, प्रमोद, करुणा और माध्यस्थ भावना तथा आसन । पञ्चम. प्रकाश प्राणायाम का स्वरूप, उसके भेद, उनके द्वारा शुभाशुभ फल का निर्णय एवं काल-ज्ञान करने की विधि और प्राणायाम की साधना का फल । १५१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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