Book Title: Visheshavashyakbhashya ka Maldhari Hemchandrasuri Rachit Bruhadvrutti ke Aalok me Gyanmimansiya Adhyayan
Author(s): Pavankumar Jain
Publisher: Jaynarayan Vyas Vishvavidyalay
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[338] विशेषावश्यकभाष्य एवं बृहवृत्ति के आलोक में ज्ञानमीमांसीय अध्ययन द्रव्य के साथ क्षेत्र और काल का सम्बन्ध
द्रव्य, क्षेत्र और काल का संबंध दो प्रकार से घटित होता है -
1. भाष्यकार ने 'अंगुलमावलियाणं भागमसंखिज्ज...223 गाथा में शुद्ध क्षेत्र (द्रव्य रहित) और काल का परस्पर संबंध बताया, अब द्रव्य का क्षेत्र और काल से संबंध बताते हैं। जो अवधिज्ञानी मनोद्रव्य को जानता है वह क्षेत्र से लोक के संख्यातवें भाग को और काल से पल्योपम के संख्यातवें भाग को जानता है। कर्मवर्गणा द्रव्य को जानने वाला अवधिज्ञानी क्षेत्र से लोक के बहुत संख्यातवें भाग को और काल से पल्योपम के बहुत संख्यातवें भाग को जानता है तथा जो अवधिज्ञानी संपूर्ण लोक को देखता है वह काल से कुछ कम पल्योपम को जानता है। इस प्रकार द्रव्य के साथ क्षेत्र और काल का संबंध हुआ है।
कर्मद्रव्य (वर्गणा) का अतिक्रमण करके बाद में अनुक्रम से ध्रुवादि वर्गणा के द्रव्य को देखता है वह अवधिज्ञानी अनुमान से परमावधि को प्राप्त करता है। यह सामर्थ्य मात्र बताने के लिए कहा है 24
2. जो अवधिज्ञानी तैजसशरीर और कार्मणशरीर को जानता है अथवा तैजसवर्गणा द्रव्य और भाषावर्गणा द्रव्य को जानता है, वह क्षेत्र से असंख्यात द्वीप-समुद्र और काल से पल्योपम के असंख्यातवें भाग को जानता है। यहाँ तैजसवर्गणा और कार्मण शरीर को जानने वाले अवधिज्ञान के विषय क्षेत्र और काल को सामान्य रूप से समान कहा है। तो भी इतना विषेश समझना कि तैजस शरीर की अपेक्षा कार्मणशरीर सूक्ष्म है। अत: तैजस शरीर को जानने वाले अवधिज्ञानी के विषय क्षेत्र और काल की अपेक्षा कार्मण शरीर को जानने वाले अवधिज्ञानी का विषय क्षेत्र और काल अधिक होता है। कार्मण शरीर की अपेक्षा तैजस वर्गणा के द्रव्य सूक्ष्म होने से कार्मण शरीर को जानने वाला अवधिज्ञानी जितने क्षेत्र और काल को जानता है उससे तैजस वर्गणा द्रव्य को जानने वाला अवधिज्ञानी विशेष जानता है। तैजस वर्गणा की अपेक्षा भाषा वर्गणा सूक्ष्म है, अतः तैजस वर्गणा द्रव्य को जानते अवधिज्ञानी जितने क्षेत्र और काल को देखता है उसकी अपेक्षा भाषा वर्गणा द्रव्य को जानने वाला अधिक क्षेत्र और काल को जानता है।
शंका - उपर्युक्त वर्णन में कार्मणवर्गणा को जानने वाले अवधिज्ञानी का विषय क्षेत्र से लोक के बहुत संख्यातवें भाग को और काल से पल्योपम के बहुत संख्यातवें भाग को जानता है, ऐसा बताया था।25 उसकी अपेक्षा गाथा 673 में कार्मण वर्गणा का विषय कम बताया है इसका क्या कारण है?
समाधान - भाष्यकार उत्तर देते हुए कहते हैं कि पहले जो कार्मणवर्गणा द्रव्य के विषय का कथन किया था, वह जीव के द्वारा शरीररूप में ग्रहण नहीं किए हुए ऐसे द्रव्य का था और गाथा 673 में जीव द्वारा शरीर रूप में ग्रहण किए हुए कार्मणवर्गणा द्रव्य के विषय का कथन हुआ है। शरीरपने ग्रहण किए हुए द्रव्य की अपेक्षा शरीरपने ग्रहण नहीं किए हुए द्रव्य अधिक सूक्ष्म होते हैं जैसे कि व्युत (गुंथे या सीये हुए) तंतु की अपेक्षा अव्युत तंतु सूक्ष्म होते हैं। उसी प्रकार जीवग्राही कार्मण शरीर द्रव्य स्थूल होते हैं। इसलिए उनका विषय कम है।26
प्रश्न - एक प्रदेशावगाही परमाणु आदि अतिसूक्ष्म है, उन सूक्ष्म परमाणु को जानने वाला असंख्यात प्रदेशावगाही स्थूल कार्मण शरीर को भी जानता ही है, तो उसको बाद में अलग से
223. विशेषावश्यकभाष्य, गाथा 608 225. विशेषावश्यकभाष्य, गाथा 669
224. विशेषावश्यकभाष्य, गाथा 668-672 226. विशेषावश्यकभाष्य, गाथा 673-674