Book Title: Visheshavashyakbhashya ka Maldhari Hemchandrasuri Rachit Bruhadvrutti ke Aalok me Gyanmimansiya Adhyayan
Author(s): Pavankumar Jain
Publisher: Jaynarayan Vyas Vishvavidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 540
________________ [515] ग्रंथ सूची (BIBLIOGRAPHY) (अ) आधार ग्रंथ विशेषावश्यक भाष्य : विशेषावश्यकभाष्य : भाग 1-2, मलधारी हेमचन्द्र बृहद्वृत्ति सहित, भाई समरथ जैन श्वे. मू. शास्त्रोद्धार ट्रस्ट, अहमदाबाद, वी. सं. 2489 भाग 1-3, जिनभद्रकृत स्वोपज्ञवृत्ति, (पं. दलसुख मालवणिया) लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंन्दिर, अहमदाबाद, ई. 1966-68 (गुजराती अनुवाद), भाग 1-2, आगमोदय समिति, बम्बई, प्रथम संस्करण, ई. 1924-27 (हिन्दी अनुवाद सहित), भाग 1, आचार्य श्री सुभद्रमुनि मुनि मायाराम सम्बोधि प्रकाशन, दिल्ली, प्रथम संस्करण, ई. 2009 विशेषावश्यकभाष्य : विशेषावश्यकभाष्य : (आ) सहायक ग्रंथ अनुयोगद्वार सूत्र : अनुयोगद्वार वृत्ति अभिधानराजेन्द्रकोष : अष्टप्राभृत अष्टसहस्त्री आगमयुग का जैन दर्शन आगमशब्दकोष युवाचार्य मधुकर मुनि, श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, प्रथम संस्करण, ई. 1987 श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी श्वेताम्बर संस्था, रतलाम भाग 1-7, श्रीमद् राजेन्द्रसूरि, श्री अभिधान राजेन्द्रकोष प्रकाशन संस्था, अहमदाबाद, ई.1986, कुन्दकुन्दाचार्य, परमश्रुत प्रभावक मंडल, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास आचार्य विद्यानंद, दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर, सन् 1989 पं. दलसुख मालवणिया, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, द्वितीय संस्करण, ई. 1990 सम्पादक आचार्य तुलसी, युवाचार्य महाप्रज्ञ, जैन विश्व भारती, लाडनूं, सन् 1980 'आचारांगसूत्र सूत्रकृतांग सूत्रं च', मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, सन् 1978 दलसुख मालवणिया, जैन संस्कृति संशोधन मंडल, बनारस, ई.1953 आचार्य विद्यानंद, भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत् परिषद्, सन् 1992 समन्तभद्राचार्य (जुगलकिशोर मुख्तार), वीरसेवा मंदिर ट्रस्ट, वाराणसी, द्वितीय संस्करण, 1978 आचार्य देवसेनाचार्य, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर, प्रथम संस्करण, ई. 1989 श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी श्वेताम्बर संस्था, रतलाम, ई.1928-29 भाग 1, श्री जिनशासन आराधना ट्रस्ट, मुम्बई, विक्रम सं. 2046 आचारांग टीका आत्ममीमांसा आप्त-परीक्षा आप्तमीमांसा आलाप पद्धति आवश्यक चूर्णि आवश्यकनियुक्ति

Loading...

Page Navigation
1 ... 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548