Book Title: Vedant Chintamani Author(s): Publisher: View full book textPage 5
________________ श्रीगणेशायनमः // शुद्धाद्वैतंसर्वशक्तिजडजीवादिकारणं // साकारंसच्चिदानंदवंदेश्रीपुरुषोत्तमं // 1 // मायावादतमो / नाशभक्तिमार्गप्रकाशयोः // सूर्याचंद्रमसौस्तौमिश्रीमद्वल्लभविठ्ठलौ // 2 // अक्तोगुरुश्रीवजवल्लभस्यपितुर्घनश्यामतआ विद्यः / / गोवर्द्धनोबालनिबोधनायवेदांचितामणिमातनोति // 3 // अथैतद्विश्वमखिलंनानारूपंनिरीक्ष्यते // अतींव चित्रमेतस्यकारणंपरिचित्यतां // 4 // यत्पूर्वरनिनियतंयदुत्पत्तावपेक्ष्यते // तत्तस्यकारणंप्रोक्तंकार्यमुत्पाद्यमस्ययत् // 5 // यथामृत्साकुलालश्चदंडादिर्घटकारणं // तथेदंकिमुपादायकेनवानिर्मितं भवेत् // 6. // चेतनस्यमनुष्यादेः पितरोत तथाविधौ // जडस्याप्यथरक्षादे/जायंयद्यपिस्फुटं // 7 // पित्रोःपितामहौमातामहौतेषांतथेतरे / / एवंविचारेकोवा दोकिञ्चसम्!स्तिमैथुनात् // 8 // किमादौपुरुषःस्त्रीवोभयंत्यपिसंशयः // एवंजडेपिटक्षस्यबीजंतत्फलतःफलं // 9 // क्षावृक्षांकुरंबीजात्ताबीजमादिमं // नाध्यवस्यतिथी:किचिदंततःपरिचितने // 10 // तस्मात्सर्वप्रपंचस्यनिदानंब्रह्म केवलं // आदित्वादद्वितीयत्वात्सर्वरूपत्वशक्तितः॥ 11 // सर्वधर्मविशिष्टत्वादैश्वातंत्यसिद्धितः // स्वयमेवस्वेच्छयेदं स्वरूपादुदपादयत् // 12 // यथोर्णनाभिालातआलयंसृजतीच्छया / पात्यत्त्येवंत्वस्यसृष्टिस्थितिसंहतयस्तनः // 13 // पंचभूतात्मकंसकिनतान्येवकारणं // निरास्पदत्वनेषांचोचितोयोगःस्वतोयतः // 14 // कालजीवादयोनैतन्मयास्ते / Hषांकुतोजवः / / किंचपंचैवतान्येवंस्वभवान्येववाकृतः // 15 // अतोवश्यं सर्वबीजंस्वतंत्रश्चैकईशिता / / प्रवर्तकोनियं 1 कारणं 2 कार्यानुरूपौ 3 सर्वज्ञःसवशक्तिमान्कश्चिदेकएवास्थजगतःकर्तेतिसर्वमतेषुप्रसिद्धPage Navigation
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