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पल्लीविचारप्रकरणम् ।
(४१७) ॥ टीका ॥ लये मेषे शुभं यस्य वृषे च पशुनाशनम् ।मिथुने रोगसंप्राप्तिः कर्की हैहय उच्यते॥१२॥ सिंहे सत्पुत्रलाभश्व कन्यालमे धनक्षयः । तुलाल्योश्च धनुष्युक्तो वस्त्र. लाभो ध्रुवं नृणाम् ॥ १३ ॥ मकरे धनलाभं च कुंभे हानि विनिर्दिशेत् ॥ मीने च शोकसंतापः पल्लीप्रपतनाद्भवेत् ॥ १४ ॥
॥ इति लमफलम् ॥
शीर्षे राज्यं श्रियोऽवाप्तिर्भाल ऐश्वर्यवर्धनम् ।कर्णयोर्भूषणप्राप्तित्रयोर्भयदर्शनम्॥ ॥ १५॥ नासिकायां तु सौभाग्यं वक्रे मिष्टान्न भोजनम् ॥ कंठे नित्यं प्रियावाप्तिः स्कंधयोर्विजयी भवेत् ॥ १६ ॥धनलाभो बाहुयुग्मे करयोस्तु व्ययस्तथा । स्तनयुग्मे तु सौभाग्यं हृदि सौख्यस्य वर्धनम् ॥ १७ ॥ कुक्षौं सत्पुत्रलाभश्च नाभौ सौख्यप्रवर्धनम्।।पृष्ठे नित्यं महालाभापार्श्वयोर्बन्धुदर्शनम्॥१८॥कट्योईयोर्वस्त्रलाभोगु
॥ भाषा॥
अथ लमफलम । मेष लग्नमें पल्ली पडे तो शुभ होय, वृषलग्नमें पडे तो पशूको नाश होय. मिथुन लग्नमें पडे तो रोगकी प्राप्ति होय. कर्कलग्नमें पडे तो हैहयको लाभ होय ॥ १२ ॥ सिंहलग्नमें पल्ली पडे तो सत्पुत्रको लाभ होय. कन्या लग्नमें पडे तो धनको क्षय होय. तुला,
वृश्चिक, धन इन लग्नमें पडे तो धनको लाभ होय ॥ १३ ॥ मकरमें पल्ली पडे तो धनलाभ होय. कुभलग्नम पडे तो हानी होय. और मीनलग्नमें पल्ली पड़े तो शोक, संताप होय ॥ १४ ॥
इति लग्रफलम् ॥
अथांगस्थानफलम् ॥ मस्तकपै पल्ली पडै तो राज्य और श्री प्राप्ति होय. ललाटमें पडै तो ऐश्चर्यकी वृद्धि होय. कर्णनपै पडै तो भूषणकी प्राति होय, नेत्रनमें पड़े तो भयकी प्राप्ति होय ॥ १५ ॥ नासिकापै पडे तो सौभाग्य होय. मुखपै पडै तो मिष्टान्नभोजन होय. कंठप पडे तो नित्य प्रियकी प्राप्ति होय. कंधापै पडै तो विजय होय ॥ १६ ॥ दोनों भुजानपै पडै तो धनको लाभ होय. हाथपै पड़े तो खर्च बहुत होय. दोनों स्त. ननपै पडै तो सौभाग्य होय. हृदयपै पडै तो सौख्य बढावे ॥ १७॥ कुंखपै पडै तो सत्पुत्रको लाभ होय. नाभिपे पडै तो सौख्य बढावे. पीठपै पडै तो महान् लाभ होय. दोनों पसवाडेनमें पडै तो बंधुको दर्शन होय ॥१८॥ दोनों कटिभागपै पडै तो वस्त्रको लाम होय,
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