Book Title: Vasantraj Shakunam
Author(s): Vasantraj Bhatt, Bhanuchandra Gani
Publisher: Khemraj Shrikrishnadas

View full book text
Previous | Next

Page 581
________________ भाषार्टीकासमेत। (१५) थापि वा ॥ स्वप्ने कुर्याद्यः पुमांश्च स राजा भवति ध्रुवम् ॥ ॥५३॥ स्वप्ने राजा भवेद्यश्च यश्च चौरो भवेत्पुनः ॥ पुनः स्वामी भवेद्यश्च स राजा स्यादसंशयः॥५४॥ मूत्रैः पुरीपैलिप्ताङ्गः स्मशाननिलयो नरः॥ खादेन्मूत्रं पुरीषं च स भवेत्पृथिवी पतिः ॥५५॥ गौरानडत्समायुक्तं यानमारुह्य यो नरः ॥ उदीचीमथवा प्राची दिशं गच्छेत्स भूपतिः॥५६॥ स्वप्नमध्ये यस्य देहः केशविरहितो भवेत् ॥ तमथो नरशाVलं लक्ष्मीरायाति दासवत् ॥५७॥ स्वप्नमध्ये स्वस्य गेहं पातयित्वा पुनर्नवम् ॥ निबनाति पुमांस्तस्य व्यसनं लयमाप्नुयात्।।५८॥ स्वप्ने यो नीलवर्णा गां धनुर्वा पादरक्षणम् ॥ प्राप्नुयात्स प्रवासाद्वै सत्वरं स्वगृहं विशेत् ॥ ५९॥ अपानद्वारतो यश्च जलपानं करोति वै ॥ स्वप्न तस्य धनं धान्यं विपुलं जायते ध्रुवम् ॥६०॥ आपादमस्तकं यश्च निगडैर्ब ध्यते नरः॥ पुत्ररत्नं प्रपश्येत्स ध्रुवं तत्र न संशयः॥६॥ यो ग्रामं नगरं वापि स्वप्ने यो वेष्टयेन्नरः॥ मंडलाधिपतिःस स्याद्राममुख्योऽथवा भवेत् ॥६२॥ निम्नायामथ भूम्यां यः घा स्वप्नमें जलपान घोडेपर चढकर करै वह निश्चय राजा होताहै ॥ ५३ ॥ जो स्वप्नमें राजा होकर फिर चोर होजाय और फिर स्वामी होजाय तो वह निश्चय राजा होताहै ।। ५४ ॥ जिस पुरुषके अंगमें स्वप्नमें मूत्रपुरीष लगजाय, वा मरघटमें घरहोता दीखै तथा मूत्रपुरीषका भक्षण करै वह राजा होताहै ॥ ५५ ॥ सफेद बैलसेयुक्त यानपर चढ़कर जो पुरुष उत्तरदिशाको अथवा पूर्वदिशाको जाय वह राजा होताहै ॥५६॥ स्वप्नमें जिसपुरुषका शरीर केशरहितहो सिंहकी समान उस पुरुषको लक्ष्मी दासीकीसमान प्राप्त होतीहै ॥ २७ ॥ जो स्वप्नमें अपना घर गिराकर नयाघर बनाताहै उस पुरुषके व्यसनका नाश होताहै ॥ ५८ ॥ जो पुरुष स्वप्नमें नीली गोको प्रातही वा धनुषको वा पादरक्षा ( जूते ) को प्राप्तहो वह परदेश जाकर शीघ्रही अपने घरमें आताहै ॥ ५९॥ जो स्वप्नमें अपान मार्गसे जलपान करता है. उसके निःसन्देह धनधान्यं बहुत होताहै ॥ १० ॥ जो पुरुष चरणसे मस्तकपर्य्यन्त बेडियोंसे बांधा जाय वह निःसन्देह पुत्ररूपी धनको प्राप्त होगा ।। ६१ ॥ जो स्वममें ग्राम पा नगरको घेरताहै वह मण्डलाधिपति होताह अथवा ग्रामका मुखिया होताहै ॥ ६२॥ गहरी पृथ्वीमें जो गिरफर फिर उठे Aho ! Shrutgyanam

Loading...

Page Navigation
1 ... 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606