Book Title: Vasantraj Shakunam
Author(s): Vasantraj Bhatt, Bhanuchandra Gani
Publisher: Khemraj Shrikrishnadas

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Page 606
________________ (40) स्वमाध्याय। शिरसि यदि न च्छिन्नदण्डोऽस्य दृष्टः षण्मासान्तन मरणभयं सम्पुटे हस्तयोस्तु॥न्यस्तेशीर्ष यदि च कदलीकोरकामं तदन्तर्दृष्टं नौभिस्तरति सलिले चेत्स्वशेफो न मृत्युः // 34 // इत्युक्तं बहुशः स्वप्नग्रन्थेषु लिखितं मया।संगृह्य विदुषां तोषहे तवेऽतिप्रयत्नतः॥३५॥ नामूलमत्र लिखितं दृष्ट्वा ग्रन्थाननेकशः॥छन्दो विपरिणामेन स एवार्थों मयोदितः // 36 // इति श्रीपण्डितज्योतिर्विच्छीधरेण संग्रहपूर्वकविरचितस्वप्नकमलाकरे प्रकीर्णकप्रकरणकथनं नाम चतुर्थः कल्लोलः समाप्तः॥४॥ वचनहै कि शिरपर हाथ रखनेसे वह हस्तछाया खंडित नहीं दीखै तो छ: महीनेतक मृत्युका संदेह न करना और दोनों हाथ सम्पुटकर शिरपर रखनेसे यदि कदलीकी कोरकी समानभी अन्तर दीखे वा नावद्वारा जलमें अपनेको तरता देखे तो किसीप्रकार मृत्युका भयनहींहै // 34 // इसप्रकार बहुनसे ग्रन्थोंका संग्रह कर स्वप्नाध्याय लिखाहै यह बडे यत्नोंसे पंडितोंके संतोषके लियेही कियाहै // 35 // इसमें अमूल कोई बात नहीं लिखी ग्रन्थोंको देखकरही लिखाहै छन्दोंके इति श्रीपण्डित ज्योतिर्विच्छ्रीधरेण संग्रहपूर्वकविरचितस्वप्नकमलाकरे मुरादादाबादनिवासी पंडित-ज्वालाप्रसादमिश्रकृतभाषाटीकायां प्रकीर्णप्रकरणकथनं नाम चतुर्थः कल्लोलः समाप्तः // 4 // दोहा-उनिससौ त्रेसठ सुभग, संवत् कार्तिक मास / दीपमालिकाके दिवस, कीनों ग्रंथ प्रकास // 1 // वसन रामगंगानिकट, नगर मुरादाबाद / भजन करत हरिको तहां बुधज्वालाप्रसाद // 2 // खेमराज गुणखान जग, सेठशिरोमणि जान / तिनको अर्पित ग्रंथ यह, सज्जनको सुखदान // 3 // भूल चूक सब क्षमा कर, सज्जन लेहि सुधार / हरिचरित्र गावहु सुनहु, मिलैं पदारथ चार // 4 // पुस्तकमिलनेकापता-खेमराज श्रीकृष्णदास, 'श्रीवेङ्कटेश्वर' स्टीम् यन्त्रालय-चंबई. Aho! Shrutgyanam

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