Book Title: Trigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Author(s): Lakshmivijay
Publisher: Bhogilal Kalidas Shah
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'प्रथमः प्रकाशः
यतः
चउभागो १ चउभागो २ तिणियचउभागा ३ पलियच भागो ४ तिणेवयचउभागा ५ चउथ्थभागोय ६ चउभागो ७ ॥ १ ॥ " इतिवचनात्
( २५ )
४९ प्रश्न - श्री तीर्थंकर भगवानने प्रथमनी त्रण समिति होय पण छल्ली वे समिति न होय कारण के तेमने भांडोपकरण नाशिकामल वीगेरेनो अभाव छे छतां श्री कल्पसूत्रमां पञ्चसमिति केम कही छे ?
उत्तर - श्री तीर्थकर भगवानने भांडोपकरण नाशिकामल वीगेरेनो असंभव छतां पञ्चसमिति नाम खण्डित नही थवा माटे छेली बे समिति कही छे एम श्री कल्पदीपिकामां निवेदन करेल छे अने तेज कारणथी श्री कल्पसूत्रमां पञ्चसमितिनो पाठ छे.
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तथाचतद्दीपिका.
'एतच्चान्त्यसमितिद्वयं भगवतो भाण्डसिङ्घानाद्यसंभवेपिनामाखण्डनार्थमिथ्थमुक्तम् "
५० प्रश्न - सामान्य केवली तीर्थंकरने नमस्कार न करे एवो उल्लेख क्यांइ छे ?
उत्तर - सामान्य केवल महाराजो तीर्थकर महाराजोने नमस्कार न करे इत्यादि वातनो उल्लेख लोकप्रकाशमां छे.