Book Title: Trigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Author(s): Lakshmivijay
Publisher: Bhogilal Kalidas Shah

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Page 208
________________ ( १८० ) श्रीमश्नोत्तरपदीपे. तद्यथा "द्रव्यश्रुतंडादशांगीलक्षणंभावश्रुतंडादशांगीसमुत्पन्नोपयोगरूपम् ” ६१ प्रश्न-गुणहेतु तथा भवहेतु अवधिज्ञान कोनेथाय ? । उत्तर-देवताअने नारकीने भवहेतु अवधिज्ञान थायछे. अनेश्रावक तथासाधुने गुणहेतु अवधिज्ञान थायछे. यदुक्तम्. “अवधिज्ञानदिप्रकारंगुणहेतुकंभवहेतुकंचदेवनारकाणां भवहेतुकंश्राद्धसाधूनांगुणहेतुकंस्यात् " ६२ प्रश्न-ज्ञानअने दर्शनमां शो भेदछे ? उत्तर-घटपटादिसमूहना सामान्य आकारनुं जेथी ज्ञानथाय से दर्शनजाणवू अने पदार्थना विशेषआकारस्वरूप, जेथी परिज्ञानथायते ज्ञानजाणवू. आप्रमाणे ज्ञानअने दर्शननालक्षणमांभेदछे. एवूनवतत्त्वावचूरिमां कथनछे. तद्यथा “घटपटादिसार्थसामान्याकारपरिज्ञानदर्शनंज्ञातव्यम. पदार्थविशेषाकारपरिज्ञानंपुनर्ज्ञानज्ञातव्यमयमेवञ्चज्ञान दर्शनयोर्भेदः , ६३ प्रश्न-प्रज्ञापरीषह, अने अज्ञानपरीषह, खरूपकहो ? उत्तर-बहुज्ञानहोयतोपण पोतानामनमा गर्व न करवो ते प्रज्ञापरी पहकहेवायछे, अने ज्ञानावरणीयकर्मनाउदयथी कदिभणे

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