Book Title: Trigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Author(s): Lakshmivijay
Publisher: Bhogilal Kalidas Shah
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प्रथम:प्रकाशः
(३५) ४ सवाणुभूई ५ अरहादेवस्सुएय ६ होरकई ॥१॥ उदए ७ पेढालपुत्तेय ८ पोट्टिले ९ सयएइय १० मुणिसुवएय ११ अरहासवभावविऊजिणे ॥२॥ अममे १२ णिकसाएय १३ निप्पुलाएय १४ निम्ममे १५ चित्तगुत्ते १६ समाहीय १७ आगमिस्सेणहोरकई ॥३॥ संवरे १८ अणिअट्ठीय १९ विजये २० विमलेइय २१ देवोववाए २२ अरहाअणंतविरिए २३ भदेविय २४ ॥४॥" इति महापद्मादीनांनामक्रमः ॥ तत्पूर्वभवनामक्रमस्त्वेवम् ॥
"सेणिय १ सुपास २ उदए ३ पोट्टिलअणगार४ तहदढाउय ५ कत्तिअ ६ संखेय ७ तहानंद ८ सुनंदेय ९ सयएय १० ॥१॥ बोधवादेवइ ११ चेवसच्चइ १२ सहवासुदेव १३ बलदेवे १४ रोहिणी १५ सुलसा १६ चेवततोखलुरेवती १७ चेव ॥२॥ ततोहवइसयाली १८ बोधवेखलुतहाभयालीय १९ दीवायणेय २० कण्णे २१ ततोखलुनारए २२ चेव ॥३॥ अंबडेअ २३ तहासाइबु. द्धेय २४ होइबोधवेउस्सप्पिणीआगमेस्साएतिथ्थयराणंतुपूर्वभवा ॥ ५॥"
अत्र वासुदेव जीव १३ मा तीर्थकर कहा. परन्तु श्रीअंतगडदशासूत्रमा तो १२ मा तीर्थकर कया छे. तत्त्वनी वात ज्ञानी जाणे. ६५ प्रश्न-पद्मनाभाद २४ तीर्थङ्कर क्या मोक्षे जशे ?
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