Book Title: Therigatha Author(s): Jagdish Kashyap Publisher: Uttam Bhikkhu View full book textPage 7
________________ नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स थेरीगाथा १-एकक निपातो सुखं सुपाहि थेरीके कत्वा चोळेन पारुता । उपसन्तो हि ते रागो सुक्खडाकं व कुम्भियं ॥१॥ इत्थं सुदं अञ्जतरा थेरी अपज्ञाता भिक्खनी गाथं अभासित्था' ति ॥ मुत्ते मुच्चस्सु योगेहि चन्दो राहुग्गहो इव । विप्पमुत्तेन चित्तेन अनणा भुजाहि पिण्डकं ॥२॥. इत्थं सुदं भगवा मुत्तं सिक्खमानं इमाय गाथाय अभिण्हं ओवदति ॥ पुण्णे पूरस्सु धम्मेहि चन्दो पन्नरसेरिव । परिपुण्णाय पञ्चाय तमोक्खन्धं पदालय ॥३॥ पुण्णा तिस्से सिक्खस्सु सिक्खाय मा तं योगा उपच्चगं । सब्बयोगविसंयुत्ता चर लोके अनासवा ॥४॥ तिस्सा तिस्से युञ्जस्सु धम्मेहि खणो तं मा उपच्चगा । खणातीता हि सोचन्ति निरयम्हि समप्पिता ॥५॥ अञ्चतरा तिस्सा धीरे निरोधं फुसेहि सञ्जावूपसमं सुखं । आराधयाहि निब्बानं योगक्षेमं अनुत्तरं ॥६॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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