Book Title: Swadhyay 1993 Vol 30 Ank 01 02
Author(s): Mukundlal Vadekar
Publisher: Prachyavidya Mandir Maharaja Sayajirao Vishvavidyalay
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ધર્મવિજય
परिश्रान्तः
मंडलछन्नमंडल:
लक्ष्मीकम्
नीचे: वृत्तिः
निरीक्षितैः
दुविभाव्यं
गतं
जलांजलि
तस्मै भवाराधनम्
ધ્રુવિજય अविचिन्त्य
न विस्मयेन
न तदस्ति
मनीषिभिः
पुरः
रथ
निरीक्षितुम्
अभिवेष्टितं
पलायितः
भुप
पयसः
विकाशि
यन्न बत तेन दुष्करम्
चकिताभिः
अति सौकरम्
विलोकयां बभूव
असो
आशिश्रयत्
उद्रसेन
कुतवे
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સુગ ૧૧
સ
મલ્લિનાથ
पुरी:
रुत
परिक्लान्तः
पटल छन्न विग्रहः
लक्ष्मीक:
नीचवृत्तिः
तवेक्षित
મલ્લિનાથ
अविभाज्य
न विसिस्मये
किमिवास्ति
मनस्विभिः
सर्ग 13
५६ दुर्विभावं
६७ कृतम्
७४ जलजले
८० भवोद्भवाराधनम्
निचायितुम् अधिवेष्टितम्
प्रबलावत
(क्षेपक) सब
पयसां
विसारि
यन्न तपसामदुष्करम् क्षुभिताभिः
५३ अथ सौकरम्
थे. खेम पति
विलोकयांचकार
अयं
आशिश्रियत्
अश्वसेन
कृतमन्युः
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