Book Title: Sudansana Chariyam
Author(s): Umangvijay Gani
Publisher: Pushpchandra Kshemchandra Shah

View full book text
Previous | Next

Page 136
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir सुदंसणा- मिच्छत्तछण्णमइपसरो॥८५७॥ पडिभणइ पावपुण्णो तुम्हें पुण्णेण मज्झ पजत्तं!। मुंचह लहु मह नयरं । तो विण्हू भणइ | विजयकुचरियम्मि पुणवि इमं ॥८५८॥ पुरबाहिं उजाणे चिट्ठतु अकिंचणा इमे मुणिणो। जं अवसिस्सइ थेवो कालो वि हु धरसयालस्स ॥८५९॥3॥ मारसरुव तो भणइ इमं नमुई गुंजारुणलोयणो फरुसवयणो। किं वहुणा भणिएणं? गंधं पि सहेमि न हु तुम्हं ॥८६०॥ जइ जीवि-दा प्परूवग॥५८॥ एण कजं ता लहु नीहरह मज्झ देसाओ। अण्णह तुम्भे सवे चोरब धुवं हणिस्सामि ॥८६१|नमुइवयणाईहिं फुरंतको- नाम अट्ठदीवानलो वि भणइ मुणी । देहि अहो मह ठाउं तेणुत्तं वियरिया तिवई ॥८६२॥ जइ पुण तिवईइ बहिं नीहरह तुम पिता81 मुद्देसो। दोनणु हणिस्सं । ओमिति जंपमाणो विण्हुरिसी फुरियगुरुकोवो॥८६॥ वेउधियलद्धीए विउवियं काउमप्पणो रूवं । वरमउड कुंडलधरो वरमालाऽलंकियसरीरो॥८६॥ फलगाऽसिकुलिसवणुकलियकरयलो जुण्णपण्णमिव । खयरे फारफुक्कारेहिं भंसंतो हावडर लग्गो।।८६५॥ पउमिणिपत्तं व महिं कंपंतो पायदद्दरेहि तहा। उच्छालिंतो अहियं जलनिहिणो पलयपवणुब ॥८६॥ गुरुसेउवंधगो इव सरियाउ पईवगाउ कुवंतो । जोइसचक्कं च पुरो कक्करनियरं व विकिरंतो ॥८६७॥ वम्मियमंडलं पिव गिरिवरसिहराई दारयंतो य। वडंतो मेरुसमो सुरअसुरभयंकरो जाओ ॥८६८॥ धरणीइ खिविय नमुइं बहुरूवो तिहुयणं पिर खोहंतो। चिट्ठइ ठविउं पाए विण्ह पुवावरसमुद्दे ।।८६९॥ कोवेण विण्हुमुणिणो तिलोयमवि पिक्खिउं खुहियमिंदो। तस्सो-६ वसमणहेडं पट्ठवइ तहिं सुरवहूओ॥८७०॥ ठाऊण कण्णमूले विण्हुकुमारस्स ताओ महुरसरं । गायंति सुयरहस्सं गंधारग्गामअभिरामं ॥८७१॥ कोहेण जिया डझंति तह य मुझंति अप्पकजेसु । इहयं परत्थ नरए वच्चंति अणंतदुहभरिए १८७२॥ ॥५८॥ १ पापपूणी नमुचिः। २ त्रिपदी। ३ पादप्रहारः। ४ कीटविशेषकृतमृत्तिकास्तूपसमूहमित्यर्थः । मायामा SALMANDSAURISONGS For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296