Book Title: Sudansana Chariyam
Author(s): Umangvijay Gani
Publisher: Pushpchandra Kshemchandra Shah

View full book text
Previous | Next

Page 272
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुदंसणा- णवाइ दिवाई । अण्णे रत्थावडियं दंडीखंड पि न लहंति ॥३७॥ एगे विभूसियंगा भुवणब्भुयभूसणगणेण । अण्णे सवंगं|5| मूलुद्दिडचरियम्मिपि हु वणपट्टयवेढिया बाढं ॥३८॥ एगे आजम्मं पि हु अक्खयपंचिंदिया सया सुहिया । बहिरंधमूयपंगुत्तणेण अण्णे दुहिय-15 प्पबंधप्प है हियया ॥३९॥ एगे नियइच्छाए कीलंतुजाणकाणणाईसु । अण्णे गुत्तिणिहत्ता किस्संति णिरुद्धकरचरणा ॥४०॥ एगे बहु- रूवगनाम ॥ १२६॥ लोयपिया रायाईणं पि माणणिज्जा य । अण्णे अवमाणपयं पए पए हुंति हीणगुणा ॥४१॥ एगे सया सुविणीयसयणपरि-13 सोलसमो वारसंजुया सुहिया । अण्णे इट्ठविउत्ता अणिट्ठसंजोगदुक्खत्ता ॥४२॥ पुण्णाणुबंधिपुण्णा उभयभवेसुं पि सुत्थिया एगे। उद्देसो। पावाणुबंधिपावा सबत्थ वि दुत्थिया अवरे ॥४३॥ कयपुण्णा पुण्णकरा करिस्सपुण्णा सया सुही एगे । विवरीया पुण अण्णे* ठादुहिया सवत्थ वि वराया॥४४॥ एगे तणं व रजं चएवि गिण्हंति संजमं धीरा । अण्णे पुण खप्परं पिणेअ मुयंति गरुयमोहा ॥४५॥ एगे धम्माभिमुहं करंति पडिबोहिऊण भवगणं । अण्णे पावासत्तं अत्ताणं पि हुन वारंति ॥४६॥ इय धम्मफलं दीसइ मणुयाणं भद्द! ताव पच्चक्खं । तं सुरतिरिणिरयाणं कहंति तं णाणिणो चेव ॥४७॥ | अण्णं च-देवा विसयपसत्ता नेरइया विविहदुक्खसंतत्ता । तिरिया विवेगविगला मणुयाणं धम्मसामग्गी ॥४८॥ तेसु कयत्था मणुया दुलहं जिणसासणं लहेऊण । णिम्मलदढसम्मत्ता कुणंति जे चउविहं धम्मं ॥४९॥ सा किण्णरी पयंपइ संपइ पुण धम्मपाल! सुणसु तुमं । जिणधम्मपालणाऽपालणस्स फलमिह सदिटुंतं ॥५०॥ तहा हि-इहभरहे अस्थि पुरी बहुपुण्णजणा पभूयधणपुण्णा । आमलकप्पा अलयब किंतु बहुधणयकयसोहा ॥५१॥8 ॥१२६॥ दंडी० साधाहुआ जीर्णवन । POSRESPOSTASRASHIS19649 For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296