Book Title: Sudansana Chariyam
Author(s): Umangvijay Gani
Publisher: Pushpchandra Kshemchandra Shah

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Page 270
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie CAUSAM सुदंसणा- भावमुवगया एसा । ओहीणाणबलेणं णियपुवभवं मुणेऊण ॥८॥ तम्मोहमोहियमई भारहखित्ते जिणिंदतित्थेसु । सम्मत्त-16 मूलुद्दिडचरियम्मि जुया मणुयत्तवज्जिया सा परिब्भमइ ॥९॥ णिच्चं चिय भरुयच्छे सुब्बयभवणे महाविभूईए । वरकुसुममाइएहिं कुणइ पूर्य प्पबंधप्प॥१२५॥ णवणबेहिं ॥१०॥ अज्जदिणे पुण उजिंतपबए इत्थ तित्थजत्ताए। सिरिणेमिजिणं णमिउं संपत्ता किण्णरी देवी ॥११॥ रूवगनाम साऽहं साहम्मिय! धम्मभाय! धणपाल! धम्मधणपाल!। पउमाधाइभवाओ कहाणयं इत्तियं मज्झ ॥१२।। तुमए पुट्ठाइ सोलसमो मए णियचरियं साहियं तह पसंगा । सुदरिसणाईणं पि हु तो पुणरवि भणइ सा एवं ॥१३॥ भद्द! तुम पि हु धम्म उद्देसो। थिओ मित्तं इमस्स धम्मस्स । ता धम्मपाल ! णिसुणसु धम्माऽधम्मफलं पयर्ड ॥१४॥ जिणभणिओ च्चिय धम्मो कायबो जत्तओ बुहेहि जओ । धम्मेण सबरिद्धी धम्मेण मणिच्छियं सुक्खं ॥१५॥ धम्म काऊण णरो जइ णिवसइ गिरिगुहासु8 पच्छण्णं । तत्थ वि लच्छी पेच्छइ तं पुण्णपहाइ दीवंतं ॥१६॥ सरिसे वि मणुयजम्मे धम्माऽधम्मस्स जं फलं इत्थ । तं हदीसइ पच्चक्खं सुहदुक्खपवित्तिणाणाए ॥१७॥ | तहाहि-तिहुयणपसिद्धभवणे एगे जायंति रूवगुणकलिया। अण्णे पुण पावकुले दोहग्गकलंकिया दुहिया ॥१८॥ एगे 5 वसंति कप्पूररेणुधूसरियतुंगभवणेसु । अण्णे उ कोलबिलधूलिपूरिए जजरकुडीरे ॥१९॥ दाऊण पउरदाणं विविहाऽऽहारं ६ ॥१२५॥ हैच केइ भुजंति । अण्णे णिचं परपत्थणेण उयरं पि न भरंति ॥२०॥ चलणे धोयंति धणेसराण कम्मं कुणंति दिवसणिसिं । दुप्पूरउदरपूरणआसाए विणडिया जीवा ॥२१॥ CASSECOR For Private and Personal Use Only

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