Book Title: Sudansana Chariyam
Author(s): Umangvijay Gani
Publisher: Pushpchandra Kshemchandra Shah

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Page 269
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बंभयारिति ॥ ८९ ॥ इय एवं जाजम्मं कुणसु तुमं दसविहं समणधम्मं । मुत्तु पमायं सम्मं रम्मं जइ मर्हसि सिवसम्मं | ॥९०॥ इय सोउं अणुसद्धिं महसेणमुणी तहत्ति कुणमाणो । विहरइ महिं महप्पा गुरुणा सह चंडवेगेण ॥ ९१ ॥ ते दो वि समणसीहा सुयसागरपारगा महाभागा । छट्टट्टमदसमदुवालसाइ तिवं कुणंति तवं ॥ ९२ ॥ विहरित्तु चिरकालं कार्ड संलेहणं जहासुतं । ते दो वि महासत्ता दो मासा अणसणं काउं ॥ ९३ ॥ धम्मज्झाणोवगया समचित्ता सुकलेसमणुपत्ता । इय मरिकणाऽणुत्तर विमाणवासे समुप्पण्णा ॥ ९४ ॥ इय सुदरिसणकहाए सुरसिवपुरपरमदंसणणिहाए । धाईसुयमहसेणप्पबोहणो पणरसुद्देसो ॥९५॥ [ इइ पणरसमुद्देसो ] अह सोलसमो उद्देसो । एवं सुदरिसणाए विजयकुमारस्स मुणिवरिंदस्स | सीलवईए तह चंडवेग - महसेणसाहूणं ॥ १ ॥ सोउं संवेगकरं चरियं चंपगलया वि जयरण्णो । धूया संवेगपरा मोहेण सुदंसणाइ पुणो ||२|| तो विमलसेलसिहराउ हरिसिया तित्थवंदणणिमित्तं । भरुयच्छे संपत्ता उप्पइडं पाउआरूढा ||३|| अणुदियहं तत्थ पुणो पूयं मुणिसुवयस्स कुवंती । कालं गमइ सरंती सुदरिसणादेविषयकमलं ॥४॥ एवं सा चिरकालं अच्छंती तत्थ णाउ नियमरणं । चिंतर जिणपूयाणं जइ किं पि फलं जए अस्थि ॥५॥ ता मज्झ वि देवत्तं तित्थे इत्थेव हुज्ज मह जेण । देवी सुदरिसणाए संजोगो होइ जं बहुसो ॥ ६ ॥ एवं णियाणबंधं काउं चंपगलया गरिंदसुया । पूयापुण्णफलेणं मरेवि सा किण्णरी जाया ॥७॥ अंतमुहुत्तेण तओ पज्जत्ती १] काङ्क्षसि । For Private and Personal Use Only

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