Book Title: Sudansana Chariyam
Author(s): Umangvijay Gani
Publisher: Pushpchandra Kshemchandra Shah

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Page 193
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेओ चउदंतो तियसदंती व ॥ २८२॥ अह जोबणपत्तेणं इओतओ तेण परिभमंतेणं । नियपुचजम्ममित्तो स जुगलधम्मी नरो दिट्ठो ॥ २८३ ॥ दिम्मि तम्मि तदुवरि तस्स सिणेहो अइव संजाओ । सिहिणो हरिसप्पसरो नवजलहरदरिसणेणेव ॥२८४ ॥ तो तेण हत्थिणा सो हत्थेणुष्पाडिऊण जुगलिनरो । आरोविओ पहिडेणऽणिच्छमाणो वि नियखंधे ॥ २८५॥ अण्णुण्णदंसणाओ पण्णापागन्भओ य लहु तेसिं । जाईसरणं जायं विस्सरियत्थस्स सरणं व ॥ २८६ ॥ संखंककुंदधवलं गयमारूढं तयं जणा दङ्कं । जंपति विमलवाहणगओ इमो सोहए अहियं ॥२८७॥ इय तस्स तेहि नामं अत्थजुयं विमलवाणु त्ति कयं । चंदजस त्ति पियाए तरस य चंदुज्जलजसाए ॥ २८८॥ कालाणुभावओ पुण कप्पतरूणं दसण्ह वि कमेणं । जाओ मंदपभावो चरित्तभट्ठाण व जईणं ॥ २८९ ॥ तह मिहुणाण वि पुधि अप्पममत्ताण कप्परुक्खेसु । जाओ ममत्तभावो संगावयवेसु व जियाणं ॥ २९०॥ तो पवललोभवसओ अण्णेणंगीकयम्मि कप्पदुमे । अण्णस्य तस्स पुरओ टियस्स जायइ गरुयदुक्खं ॥ २९९॥ तो विमलवाहणस्स उ जाईसरणेण नीइणिउणस्स । गंतूण वइयरं तं कहंति मिहुणगनरा अण्णे || २९२|| सो विमलवाहणो नरवइच सधेसि तेसि मिहुणाणं । वियरइ विरिंचिऊणं कप्पदुमे कलहरक्खट्ठा ॥ २९३॥ मज्जायभंजगाणं ठावइ हक्कारदंडनीइं च । तइया तद्दंडेणं गणइ जणो गरुयमवमाणं ॥ २९४॥ हक्कारभया लोया पायं भंजति तं न मज्जायं । मण्णंति वरं घाओ हक्कारो न उण अम्हाणं ॥ २९५ ॥ एवं कुलमज्जायाकरणाओ कुलगरु त्ति सो पढमो । नियआउं परिपालइ सह चंदजसाइऽणुविग्गो ॥ २९६ ॥ छम्माससेसर आउयम्मि कालाणुभावओ तत्थ । वररूवलक्खणधरं चंदजसा पसवए जुयलं ॥ २९७॥ नामं च पिऊहि कयं चक्खुखमं तह य चंदकंता से । अट्ठ For Private and Personal Use Only

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